जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा- इस लड़ाई में कश्मीर को नहीं भूल सकते

   

जामिया मिल्लिया इस्लामिया में 15 दिसंबर को हुई हिंसा के एक महीने बाद आज फिर प्रदर्शन किया जा रहा है। प्रदर्शनकारी पुलिस के खिलाफ एफआईआर की मांग कर रहे हैं। इस बीच जामिया प्रशासन ने कोर्ट जाने का  फैसला लिया है। बुधवार को हुई कार्यकारी परिषद की बैठक में यह निर्णय विश्वविद्यालय की ओर से लिया गया। वहीं, जामिया पहुंची जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की छात्र संघ अध्यक्ष आईशी घोष ने कहा, ‘हम इस लड़ाई में कश्मीर का पीछा और उनकी बात नहीं भूल सकते। उनके साथ जो हो रहा है कहीं न कहीं वहीं से इस सरकार ने शुरु किया था कि हमारे संविधान को हमसे छीना जाए।’

वीसी ने पुलिस कमिश्नर से की थी मुलाकात

मंगलवार को वीसी नजमा अख्तर ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक से एफआईआर दर्ज करने को लेकर मुलाकात की थी। इससे पहले सोमवार को छात्रों ने पुलिस के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने को लेकर वीसी कार्यालय का घेराव किया था। बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर प्रदर्शन के दौरान जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में हिंसा हुई थी। जिसके बाद पुलिस कैंपस के अंदर घुसी थी और प्रदर्शनकारियों की पिटाई की थी। पुलिस की इस कार्रवाई के खिलाफ कई जगहों पर प्रदर्शन किया गया। इस हिंसा में खासी संख्या में वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गए।

दिसंबर से लंबित हैं परीक्षाएं

वहीं जामिया प्रशासन जनवरी में होने वाली परीक्षाओं को अगले आदेश तक रद्द कर दिया है। सोमवार को वीसी कार्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे छात्रों से बातचीत के बाद परीक्षाएं रद्द करने का फैसला लिया गया। पुलिस द्वारा कैंपस में हुई हिंसा और सुरक्षा की मांग को लेकर छात्रों ने वीसी कार्यालय का घेराव किया था। छात्रों का कहना है कि जब तक विश्वविद्यालय परिसर में सुरक्षा की गारंटी नहीं दी जाती तब तक वे परीक्षाओं में शामिल नहीं होंगे।हिंसा के बाद विश्वविद्यालय की तरफ से छुट्टियां घोषित कर दी गई थी। 6 जनवरी से जामिया विश्वविद्यालय में कक्षाएं फिर से शुरु की गईं। साथ ही इसी माह लंबित परीक्षाओं की तिथि भी घोषित कर दी गई थी, लेकिन छात्रों के विरोध के कारण फिर से परीक्षाएं रद्द कर दी गई हैं।

जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा कर दिया है खत्म

बीते साल 5 अगस्त में केंद्र सरकार ने जम्म-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दिया था और वहां के कई नेताओं को नजरबंद कर दिया गया था। सुरक्षा के मद्देनजर मोबाइल और इंटरनेट सेवा पर रोक लगा दी थी। तब से लेकर अब तक घाटी के कई हिस्सों में इंटरनेट सेवा बंद है।