ज्ञान हब के रूप में भारत के फिर से उभरने का समय: वेंकैया नायडू

   

भारत के उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि औपनिवेशिक मानसिकता से अलग हटकर शिक्षा प्रणाली को पुन: स्थापित करने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि जो राष्ट्र अपने इतिहास से प्रेरणा और ऊर्जा प्राप्त नहीं करता है, उसके लिए भविष्य की चुनौतियों का सामना करना बहुत मुश्किल होगा।

उन्होंने आईआईएम विशाखापत्तनम के तीसरे दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा, “हमें इतिहास को वस्तुनिष्ठ तरीके से पढ़ाना चाहिए जैसा यह वास्तव में घटित हुआ’’।

इस पर जोर देते हुए कि शिक्षा का उद्देश्‍य केवल रोजगार पाना नहीं था, उपराष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा को ज्ञान और बुद्धिमत्‍ता के साथ लोगों को सशक्त बनाना होगा।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि समावेशी विकास सुनिश्चित करने और किसी भी प्रकार के भेदभाव को रोकने हेतु सभी के लिए और सभी स्तरों पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की सुविधा आवश्यक थी। उन्होंने छात्रों को 21 वीं सदी के वैश्विक रोजगार बाजार की बदलती जरूरतों के साथ अपने ज्ञान और कौशल को अद्यतन करने की सलाह दी।

उन्होंने कहा कि “नया ज्ञान पुराने प्रतिमानों को बदल देता है। आप इस ज्ञान क्रांति में खुद को आगे रख सकते हैं और आपको आगे रहना भी चाहिए। ”

श्री नायडू ने कहा कि भारत के लिए एक बार फिर वैश्विक ज्ञान केंद्र के रूप में उभरने का समय आ गया है और उनका विचार था कि ऐसा होने के लिए, ज्ञान के केन्‍द्रों  विशेष रूप से, विश्वविद्यालयों को गतिशील बौद्धिकता खोज और दृढ़ अनुसंधान तथा नवाचार के केंद्र के रूप में खुद का फिर से अन्‍वेषण करना चाहिए।

राष्ट्र के विकास में कृषि के महत्व की चर्चा करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि कृषि को पुनर्जीवित करना और कायाकल्प करना अत्यंत महत्वपूर्ण था। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र को लाभदायक बनाने के लिए इसमें संरचनात्मक परिवर्तन लाने में न हिचकिचाएं।

श्री नायडू ने सरकार, वैज्ञानिकों, कृषि अनुसंधान संस्थानों और किसानों से समेकित प्रयासों के लिए एकजुट होकर काम करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “मैं हमेशा यह मानता रहा हूं कि भारत का अस्तित्‍व आयातित खाद्य सुरक्षा पर बना नहीं रह सकता है।”

उपराष्ट्रपति ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की लगभग 25 आकांक्षी महिला उद्यमियों के संरक्षण और मार्गदर्शन के लिए आईआईएम विशाखापत्तनम की सराहना की। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तीकरण की ऐसी पहलें एक बल-गुणक के रूप में काम करेंगी और व्‍यापक स्‍तर पर परिवारों, अर्थव्यवस्था और समाज में बदलाव लाएंगी।

इस अवसर पर बोर्ड ऑफ गवर्नर्स, आईआईएम के चेयरपर्सन श्री हरि एस भाटिया, आईआईएम विशाखापत्तनम के निदेशक प्रो. एम. चंद्रशेखर, संकाय और संस्थान के छात्र भी उपस्थित थे।