ट्रिपल तलाक बिल : ‘हमारी पार्टी की सोच वही है जो कुरान में लिखा गया है’

   

नई दिल्ली : बहुचर्चित तीन तलाक बिल को शुक्रवार को लोकसभा में पेश किया गया। विपक्ष के हंगामे के बीच कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सदन में बिल को पेश करते हुए कहा कि यह मुस्लिम महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए है। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने इस बिल को असंवैधानिक और भेदभाव वाला बताकर विरोध किया।

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश के रामपुर से सांसद आमज खान ने विधेयक पर कहा है कि जो कुरान कहता है उनकी पार्टी उसी को सपोर्ट करती है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर हमारी पार्टी की सोच वही है जो कुरान में लिखा गया है।

सपा नेता ने कहा किसी भी धर्म में महिलाओं को इतने अधिकार नहीं दिए गए जितने इस्लाम में दिए गए हैं। 1500 साल पहले इस्लाम ही ऐसा धर्म था जिसमें महिलाओं को समानता का अधिकार दिया गया। आज मुस्लिम समुदाय में तलाक और महिलाओं के खिलाफ हिंसा की दर बेहद कम है। महिलाओं को जलाया और मारा नहीं जा रहा। आजम खान ने आगे कहा तीन तलाक एक धार्मिक मुद्दा है न कि कोई राजनीतिक मुद्दा। कुरान से बढ़कर कुछ नहीं। निकाह, तलाक या फिर किसी भी मुद्दे पर कुरान में बातें लिखी गई हैं और हम उन्हें ही फॉलो करते हैं।

विपक्ष की आपत्तियों का जवाब देते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘शायरा बानू के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तीन तलाक का मामला मनमाना और असंवैधानिक है। यह सवाल न सियासत का है, न इबादत का, न धर्म का, न मजहब का। यह सवाल है नारी के साथ न्याय और गरिमा का। भारत के संविधान में आर्टिकल 15 लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं होने की बात कहता है।

AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने तीन तलाक बिल संविधान के आर्टिकल 14 और 15 का उल्लंघन बताकर विरोध किया। ओवैसी ने बिल को मुस्लिमों के साथ भेदभाव करने वाला बताया। AIMIM सांसद ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि एक बार में तीन तलाक से शादी खत्म नहीं हो सकती। अगर किसी नॉन-मुस्लिम पति पर केस हो तो उसे एक साल की सजा, लेकिन मुस्लिम पति को 3 साल की सजा। यह भेदभाव संविधान के खिलाफ है। यह महिलाओं के हितों के खिलाफ है।’ ओवैसी ने सवाल किया कि अगर पति जेल में रहा तो महिलाओं को मैंटिनंस कौन देगा? क्या सरकार देगी।