डर के माहौल में जी रहे हैं कमजोर वर्ग, इसे खत्म करने में देश के हर व्यक्ति की है जिम्मेदारी : सलमान खुर्शीद

   

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने देश में मॉब लिंचिंग की बढ़ रही घटनाओं पर चिंता व्यक्त की है। इन घटनाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस प्रवक्ता खुर्शीद ने कहा कि छोटे शहरों और और दिल्ली के गांवों में भी भय के माहौल में रह रहे हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि देश के हर व्यक्ति की यह जिम्मेदारी है कि वह इस डर को खत्म करने में सहयोग करे।

उत्तर प्रदेश के उन्नाव की एक घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए, जहां चार मदरसा छात्रों पर कथित तौर पर जय श्री राम ’का जाप करने के बाद हमला किया गया था, वरिष्ठ कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने शनिवार को कहा कि समाज के कमजोर वर्गों के लोग भय के माहौल में रह रहे हैं। मदरसे के छात्रों को गुरुवार को क्रिकेट मैच के दौरान झड़प में चार लोगों ने क्रिकेट बैट के साथ पीटा था और उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी गई थी।

खुर्शीद ने कहा “उन लोगों के लिए जो दिल्ली और ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं, डर का माहौल नहीं है, लेकिन कमजोर वर्गों के लोग जो दूर-दराज के स्थानों और ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं और अक्सर कोई सुनवाई नहीं होती है, निश्चित रूप से डर में रहते हैं,” उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों के दर्द को महसूस करना हर भारतीय की जिम्मेदारी है।

यह पूछे जाने पर कि क्या ये घटनाएं एक बड़ी साजिश का हिस्सा थीं, खुर्शीद ने कहा, “आप इसे एक साजिश या संकीर्ण सोच कह सकते हैं जो इन घटनाओं के लिए अग्रणी है। इस विचार को कितने लोगों के दिमाग में बोया गया है और अगर कोई मास्टरमाइंड है, तो इस पर गहराई से गौर करने की जरूरत है। ”

मालूम हो कि पिछले कुछ समय से देश में मॉब लिंचिंग यानी भीड़ हिंसा की घटनाओं में बढ़ोतरी देखने को मिली है। हाल ही में झारखंड में लोगों ने एक मुस्लिम युवक तबरेज को चोर समझ कर बुरी तरह से पीट दिया था। बाद में पुलिस हिरासत में उसकी तबीयत बिगड़ने के बाद इलाज के दौरान अस्पताल में उसकी मौत हो गई थी।

इससे पहले साल 2015 में दादरी में 55 वर्षीय मोहम्मद इखलाक की घटना भी लोगों को आज भी याद है। इसमें गौ तस्करी के शक में भीड़ ने अखलाक को पीट-पीट कर मार डाला था। वहीं झारखंड की घटना की कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी निंदा की थी। राहुल ने भाजपा शासित केंद्र और राज्य सरकार की दमदार आवाजों की चुप्पी पर भी सवाल खड़े किए थे।