भारत के उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को सस्ती चिकित्सा सुविधाएं मुहैया करवाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने मेडिकल कॉलेजों से कहा है कि वे अपने छात्रों को ग्रामीण इलाकों में जाने और वहां गरीब व दबे-कुचले लोगों की चिकित्सा संबंधी जरूरतों को समझने के लिए प्रोत्साहित करें।
आंध्र प्रदेश के कर्नाटक में आज रंगाराय मेडिकल कॉलेज की हीरक जयंती और इसके पुराने छात्र संघ की स्वर्ण जयंती के अवसर पर संबोधित करते हुए श्री नायडू ने वकालत की कि सरकारी क्षेत्र के डॉक्टर को अपनी पहली पदोन्नति लेने से पहले ग्रामीण क्षेत्रों में अनिवार्य रूप से अपनी सेवाएं देनी चाहिए।
उपराष्ट्रपति महोदय ने कहा कि चिकित्सा सेवाओं में सुधार लाने के लिए सरकारें नीतियां और कार्यक्रम बनाती हैं लेकिन असल में ये जमीनी स्तर के चिकित्सक ही होते हैं जो इन्हें सफल बनाने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
उपराष्ट्रपति ने युवा चिकित्सकों ने कहा कि मरीजों और उनके परिजनों के प्रति वे संवेदनशील रहें। उन्होंने कहा कि काम के दबाव, जांचों पर बढ़ी हुई निर्भरता और इस पेशे के व्यावसायीकरण की वजह से मरीज से संबंध और निजी स्पर्श जैसी महत्वपूर्ण प्रशंसनीय बातें आज गायब हैं। उन्होंने सलाह दी कि चिकित्सक मरीजों और उनके परिजनों के साथ ज्यादा समय बिताएं और व्यक्तिगत रिश्ता स्थापित करें और कहा कि चिकित्सक का कोमल स्पर्श और करुणा भरे शब्द एक घबराए हुए रोगी की हताश नसों को ठंडक दे सकते हैं और एक शांत करने वाला असर पैदा करते हैं।
उपराष्ट्रपति महोदय ने निजी क्षेत्र का आह्वान किया कि ग्रामीण क्षेत्रों में आधुनिक और सस्ती चिकित्सा सुविधाएं मुहैया करवाते हुए वे परोपकार, प्रतिबद्धता और सेवारूपी उत्साह की भावना के साथ काम करें। सरकार और निजी क्षेत्र के सामूहिक प्रयास बढ़िया गुणवत्ता वाली चिकित्सा सेवाओं को दूर-दराज के इलाकों में ले जाएंगे और इससे ग्रामीण और शहरी अंतर को दूर करने में मदद मिलेगी।
आजादी के बाद भारत ने बुनियादी और आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं को मुहैया करवाने में बड़ी महत्वपूर्ण प्रगति की है, ये कहते हुए श्री नायडू ने मत व्यक्त किया कि जीवन प्रत्याशा में सुधार करने, मातृ व शिशु मृत्यु दर को कम करने और जीवन की गुणवत्ता को सुधारने में अभी बहुत काम किया जाना बाकी है।
गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के बढ़ते हुए मामलों पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि भारत रोगों के दोहरे बोझ का सामना कर रहा है जिनमें संक्रामक बीमारियों तो हैं ही, साथ ही जीवनशैली से होने वाले मधुमेह, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा, ह्रदय रोग और कैंसर जैसी बीमारियों की बढ़ती घटनाएं भी शामिल हैं। ऐसा अनुमान लगाया गया है कि पुरुषों में 62 प्रतिशत और महिलाओं में 52 प्रतिशत मौतें गैर-संचारी रोगों की वजह से हैं।
श्री नायडू ने कहा कि 1.5 लाख स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों के माध्यम से 10 करोड़ गरीब और कमजोर परिवारों को व्यापक, जरूरत आधारित चिकित्सा सेवाएं और बीमा कवर प्रदान करने वाली सरकार की प्रमुख पहल ‘आयुष्मान भारत’ लोगों के सामने आने वाली मुश्किलों को संबोधित करेगी जिनमें भारी चिकित्सा जेब खर्च और आधुनिक चिकित्सा सेवा सुविधाओं तक पहुंच में आने वाली मुश्किलें शामिल हैं।
उपराष्ट्रपति महोदय ने विभिन्न चिकित्सा संघों का भी आह्वान किया कि जीवनशैली से होने वाले रोगों को रोकने के लिए क्या तौर-तरीके अपनाए जाने चाहिए इसे लेकर लोगों को शिक्षित करने के लिए उन्हें अभियान चलाने का जिम्मा लेना चाहिए। ‘द लेंसेट ग्लोबल हैल्थ’ में प्रकाशित एक पत्र का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि हृदय संबंधी रोगों, सांस संबंधी रोगों और मधुमेह से सालाना (2016 में) करीब 40 लाख भारतीयों की मौत होती है और इन मौतों में से ज्यादातर असामयिक हैं जो 30 से 70 की आयु के बीच वाले भारतीयों की हो रही हैं।
श्री नायडू ने लोगों को सलाह दी कि वे अपनी सुस्त जीवनशैली त्याग दें और उन्होंने सरकार, चिकित्सकों, जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों, नीति नियंताओं और स्वास्थ्य सेवा नियोजकों से एक सम्मिलित कार्रवाई करने की मांग की ताकि इस चलन को पलटा जा सके और जीवनशैली से जुड़े हुए रोगों की बढ़ती घटनाओं को रोका जा सके।
श्री नायडू ने चिकित्सा संघों, अस्पतालों और अधिकारियों से कहा कि वे चिकित्सक और मरीज के अनुपात को बनाकर रखना सुनिश्चित करे। चिकित्सा पर्यटन को ध्यान में रखते हुए भारतीय अस्पतालों में कई विकसित देशों की तुलना में सस्ती चिकित्सा सुविधाओं और कुशल चिकित्सा विशेषज्ञों को रोजगार देने की आवश्यकता पर भी उन्होंने जोर दिया।
उपराष्ट्रपति ने चिकित्सा परिषद् और उससे संबद्ध संगठनों से अनुरोध किया कि देश भर में चिकित्सा शिक्षा में ऊंचे मानकों को लाएं और संस्थानों में चिकित्सा व प्रयोगशालाओं के ढांचों को बढ़ाएं।
इस अवसर पर आंध्र प्रदेश के उप मुख्यमंत्री और गृह एवं आपदा प्रबंधन मंत्री श्री एन. चिनाराजप्पा, संसद सदस्य डॉ. के. वी. पी. रामचंद्र राव, विधानसभा सदस्य डॉ. कामिनेनी श्रीनिवास, भारतीय मूल के फिजिशियनों के अमेरिकी संघ (एएपीआई) के उपाध्यक्ष व अध्यक्ष (चुने हुए) डॉ. जोन्नलगड्डा सुधाकर, रंगाराय मेडिकल कॉलेज एंड ओल्ड स्टूडेंट्स यूनियन (आरएएमसीओएसए) के अध्यक्ष डॉ. जी. शेषागिरी राव, आयोजन अध्यक्ष डॉ. गन्नी भास्कर राव, आरएएमसीओएसए सचिव डॉ. एम. वी. वी. आनंद, डॉ. एनटीआर यूनिवर्सिटी ऑफ हैल्थ (आंध्र प्रदेश) के कुलपति डॉ. सी. वी. राव, आरएमसीएएनए के अध्यक्ष डॉ. वेंकट सुब्बाराय चौधरी, रंगाराय मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. आर. महालक्ष्मी और अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे।