तीन तलाक की घटनांओं में 82 प्रतिशत से ज्यादा की कमीं आई- मुख्तार अब्बास नकवी

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तीन तलाक के खिलाफ पास हुए कानून के एक साल बीत जाने पर आज मोदी सरकार के मंत्रियों ने देश भर में मुस्लिम महिलाओं को संबोधित किया है. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा है कि साल 1980 में मुस्लिम महिलाओं के साथ न्याय करने के लिए  कांग्रेस के पास समय और बहुमत दोनों था लेकिन उनके लिए वोट बैंक ज्यादा अहम था. मुस्लिम महिलाओं के लिए अच्छा जीवन कभी उनका लक्ष्य नहीं था. वहीं केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि मोदी सरकार ‘सियासी शोषण’ नहीं ‘समावेशी सशक्तिकरण’ के संकल्प के साथ काम करती है, “बड़े रिफॉर्म, बेहतरीन रिजल्ट” इसका परिणाम हैं.

बिल के एक साल पूरे होने पूरा होने के अवसर बीजेपी इसे  ‘मुस्लिम महिला अधिकार दिवस’ का नाम दे रही है. इस मौके पर  केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री श्री मुख्तार अब्बास और केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री रवि शंकर प्रसाद, ने भी वर्चुअल कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया है. इससे पहले मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि 1 अगस्त, मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक की कुप्रथा, कुरीति से मुक्त करने का दिन, भारत के इतिहास में “मुस्लिम महिला अधिकार दिवस” के रूप में दर्ज हो चुका है. यह दिन भारतीय लोकतंत्र और संसदीय इतिहास के स्वर्णिम पन्नों का हिस्सा रहेगा. मुस्लिम महिलाओं के “आत्म निर्भरता, आत्म सम्मान, आत्म विश्वास” को पुख्ता करने वाला है तीन तलाक को अपराध बनाने वाला कानून.  नकवी ने कहा कि मोदी सरकार ने “तीन तलाक” की कुप्रथा-कुरीति को खत्म कर मुस्लिम महिलाओं के संवैधानिक-मौलिक-लोकतांत्रिक एवं समानता के अधिकारों को सुनिश्चित किया है.

नकवी ने कहा कि ‘तीन तलाक’ कुप्रथा के खिलाफ कानून तो 1986 में भी बन सकता था जब शाहबानों केस में सुप्रीम कोर्ट ने “तीन तलाक” पर बड़ा फैसला लिया था; उस समय लोकसभा में अकेले कांग्रेस सदस्यों की संख्या 545 में से 400 से ज्यादा और राज्यसभा में 245 में से 159 सीटें थी, पर कांग्रेस की राजीव गांधी सरकार ने 5 मई 1986 को इस संख्या बल का इस्तेमाल मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों को कुचलने और “तीन तलाक” की क्रूर कुप्रथा को ताकत देने के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निष्प्रभावी बनाने के लिए संसद में संवैधानिक अधिकारों का इस्तेमाल किया. नकवी ने दावा किा कि आज एक वर्ष हो गया है, इस दौरान “तीन तलाक” या ‘तिलाके बिद्दत’ की घटनांओं में 82 प्रतिशत से ज्यादा की कमीं आई है, जहां ऐसी घटना हुई भी हैं वहां कानून ने अपना काम किया है.

आपको बता दें कि नई दिल्ली के उत्तम नगर और बाटला हाउस, उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नॉएडा, लखनऊ, वाराणसी, राजस्थान के जयपुर, महाराष्ट्र के मुंबई, मध्यप्रदेश के भोपाल,  तमिलनाडु के कृष्णागिरी हैदराबाद जगहों से मुस्लिम महिलाओं ने इस वर्चुअल कांफ्रेंस में हिस्सा लिया था.