लोकसभा में आज यानी गुरुवार को तीन तलाक बिल पर चर्चा होगी. इस दौरान संसद के निचले सदन के एक बार फिर हंगामेदार रहने के आसार हैं. केंद्र सरकार ने बुधवार को ही विवादास्पद ‘तीन तलाक’ विधेयक पर चर्चा के बाद उसे पारित किए जाने के लिए सूचीबद्ध किया है. भाजपा की अगुवाई वाली राजग सरकार के पास निचले सदन में पूर्ण बहुमत है और उसके लिए इसे पारित कराना कोई मुश्किल काम नहीं होगा. लेकिन राज्यसभा में सरकार को कड़ी परीक्षा का सामना करना पड़ सकता है जहां संख्या बल के लिहाज से सत्ता पक्ष पर विपक्ष भारी है. जनता दल (यू) जैसे भाजपा के कुछ सहयोगी दल भी विधेयक के बारे में अपनी आपत्ति जाहिर कर चुके हैं.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने अपने सांसदों को इसके लिए व्हिप जारी किया है और उनसे सदन में अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करने को कहा है. विधेयक में एक साथ, अचानक तीन तलाक दिए जाने को अपराध करार दिया गया है और साथ ही दोषी को जेल की सजा सुनाए जाने का भी प्रावधान किया गया है.
नरेन्द्र मोदी सरकार ने मई में अपना दूसरा कार्यभार संभालने के बाद संसद के इस पहले सत्र में सबसे पहले इस विधेयक का मसौदा पेश किया था. कई विपक्षी दलों ने इसका कड़ा विरोध किया है लेकिन सरकार का यह कहना है कि यह विधेयक लैंगिक समानता और न्याय की दिशा में एक कदम है. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक मांग कर रही हैं कि इसे जांच पड़ताल के लिए संसदीय समिति को सौंपा जाए.
आपको बता दें कि इससे पहले तीन तलाक को अपराध ठहराने के लिए लड़ाई लड़ रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद खान ने बीते दिनों इस मामले को लेकर कानून बनाने की मांग की थी. उन्होंने अपने बयान में कहा था कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो मोदी सरकार भी वही गलती करेगी जो पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने शाह बानो मामले में की थी. कांग्रेस का नाम लिए बिना खान ने कहा कि जो पार्टी 1984 में 400 से ज्यादा सीटों पर जीती थी वह ‘बेसहारा के श्राप’ को भुगत रही है.