थाईलैंड में गिरफ़्तार बहरैन के फ़ुटबाॅलर की गुहार, मुझे मेरे देश न भेजा जाए

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ऑस्ट्रेलिया में शरण ले चुके बहरैन के एक फ़ुटबाॅलर को यात्रा के दौरान थाईलैंड में गिरफ़्तार किया गया है जिसके बाद उन्होंने न्यायालय से अपील की है कि उन्हें उनके देश न लौटाया जाए।

हकीम अलअरबी ने कुछ समय पहले ऑस्ट्रेलिया में शरण ले ली थी और विवाह के बाद वे हनीमून मनाने के लिए थाईलैंड गए थे जहां उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया है। बहरैन के अधिकारियों ने कहा है कि एक पुलिस चौकी को नुक़सान पहुंचाने के कारण वे इस देश की पुलिस को वांछित हैं और उन्हें दस साल जेल में रहना होगा। हकीम अलअरबी ने, जो ऑस्ट्रेलिया की ओर से फ़ुटबाॅल खेलते हैं, थाईलैंड की अदालत में कहा कि वे निर्दोष हैं और सरकार का विरोध करने के कारण उन्हें गिरफ़्तार किया गया और यातनाएं दी गई हैं। उन्होंने अदालत में चिल्ला कर कहा कि उन्हें बहरैन न भेजा जाए।

 

बहरैन और थाईलैंड के बीच प्रत्यर्पण संधि है और बहरैन के निवेदन पर थाई पुलिस ने हकीम अलअरबी को गिरफ़्तार किया है। उन्होंने न्यायालय में कहा कि उन्हें स्वयं को बहरैन के हवाले किए जाने पर आपत्ति है। उन्होंने बताया कि चार साल पहले ऑस्ट्रेलिया में शरण लेने से पहले उन्हें बहरैन में सरकार का विरोध करने के कारण गिरफ़्तार किया गया था और भीषण यातनाएं दी गई थीं। बैंकाक में उनके ख़िलाफ़ मुक़द्दमे की कार्यवाही के समय ऑस्ट्रेलिया की फ़ुटबाॅल टीम के पूर्व कप्तान क्रेग फ़ोस्टर ने और उनके अनेक समर्थकों ने न्यायालय के बाहर आपत्ति करते हुए धरना दिया।

 

बैंकाक के न्यायालय ने हकीम अलअरबी के प्रत्यर्पण का समय 60 दिन बढ़ा दिया है ताकि वे बहरैन सरकार द्वारा उनके प्रत्यर्पण की मांग पर अपनी आपत्ति के संबंध में अपने दस्तावेज़ पेश कर सकें। बहरैन की आले ख़लीफ़ा सरकार का कहना है कि अलअरबी पर चलाया गया मुक़द्दमा न्यायपूर्ण था और अगर उन्हें अदालत के फ़ैसले पर कोई आपत्ति है तो उन्हें स्वदेश लौट कर औपचारिक रूप से अपनी आपत्ति अदालत में पेश करें। इस बीच बहरैन में मानवाधिकार और प्रजातंत्र की रक्षा की एक संस्था ने कहा है कि अगर हकीम अलअरबी को बहरैन लौटाया गया तो उन्हें भीषण यातनाएं दिए जाने का ख़तरा है।