दिल्ली हिंसा में पुलिस नाकाम रही , अल्पसंख्यकों पर हुआ जुल्म- अमर्त्य सेन

   

दील्ली में हुई हिंसा को लेकर नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और लोगों को धार्मिक आधार पर बांटा नहीं जा सकता.

हिंसा पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को यह पता लगाना चाहिए कि हिंसा को काबू में करने में पुलिस अक्षम थी या हिंसा से निपटने के लिये सरकार की तरफ से प्रयासों में कमी थी.

 

उन्होंने कहा, ”दिल्ली में जब हिंसा हुई थी तब मैं नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के इलाकों में गया था. वहां न सिर्फ अल्पसंख्यक बल्कि बहुसंख्यक भी डरे हुए महसूस कर रहे थे. हिंसा के दौरान पुलिस निष्क्रिय थी.”

 

एक ट्रस्ट की ओर से आयोजित कार्यक्रम में सेन ने कहा, ”मैं बहुत चिंतित हूं कि यह जहां हुई वह देश की राजधानी है और केंद्र द्वारा शासित है. अगर अल्पसंख्यकों को वहां प्रताड़ित किया जाता है और पुलिस विफल या अपना कर्तव्य निभाने में नाकाम रहती है तो यह गंभीर चिंता का विषय है.”

 

उन्होंने कहा, ”ऐसी खबर है कि जो लोग मारे गए या जिन्हें प्रताड़ित किया गया उनमें अधिकतर मुसलमान हैं. भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, हम हिंदू और मुसलमानों को बांट नहीं सकते. एक भारतीय नागरिक के तौर पर मैं चिंता होने के अलावा कुछ और नहीं कर सकता.”

 

सेन ने हालांकि कहा कि वह पूरे मामले का विश्लेषण किये बगैर कोई निष्कर्ष नहीं निकाल सकते. उन्होंने कहा कि जस्टिस एस मुरलीधर का ट्रांसफर दिल्ली हाई कोर्ट से पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट पर सवाल उठना स्वाभाविक है.

 

नोबेल पुरस्कार विजेता ने कहा, ”मैं व्यक्तिगत रूप से उन्हें जानता हूं. सवाल उठने स्वाभाविक हैं, लेकिन मैं कोई फैसला नहीं सुना सकता.”