दिल्ली हिंसा में मारे गए फुरकान के भाई ने कहा- खाना लेने के लिए घर से निकला था मेरा भाई

,

   

राजधानी दिल्ली के कई हिस्सों में हो रही हिंसा में अब तक सात लोगों की जान चली गई है और 50 से ज्यादा लोग घायल हैं। नागरिकता संशोधन कानून के विरोधी और समर्थकों में सोमवार को झड़पें हुईं। जिसमें कर्दमपुरी के रहने वाले फुरकान की भी मौत हो गई। फुरकान के भाई इमरान का कहना है कि उसे बच्चों के लिए खाना और कुछ जरूरी सामान लाना था। हिंसा की जानकारी मिलने पर वो इसलिए घर से गया था ताकि बाजार बंद होने से पहले बच्चों के लिए खाना ले आए। इसी दौरान उसे गोली लग गई।

जाफराबाद पुल के पास करदमपुरी इलाके में रहने वाले इमरान ने एनडीटीवी से एक बातचीत में बताया, मैं करीब 2:30 बजे फुरकान से मिला था, उस समय वो घर पर ही था। प्रदर्शन और हिंसा की वजह से मार्केट बंद होने लगे तो वो बच्चों के लिए खाना लेने घर से निकल गया। इसके बाद किसी ने मुझसे कहा कि तुम्हारे भाई के पैर में गोली लगी है। मुझे विश्वास नहीं हुआ तो मैंने उसे फोन किया लेकिन उसने नहीं उठाया। फिर लगातार फोन आने लगे कि आपके भाई को गोली मार दी है।

इमरान बताते हैं, मैं जीटीबी अस्पताल पहुंचा, वो गया तो पता चली कि मेरे भाई की मौत हो चुकी है।फुरकान की बेटी वानिया चार साल और बेटा मूसा ढाई साल का है। इमरान का कहना है कि उनकी तो दुनिया ही उजड़ गई है। 32 साल के फुरकान हैंडीक्राफ्ट और डिजाइनर कार्ड बनाने का काम करते थे। फुरकान के बाएं पैर में गोली लगी थी। डॉक्टरों ने बताया कि ज्यादा खून बह जाने से उनकी मौत हो गई।

उत्तर-पूर्वी दिल्ली के मौजपुर, भजनपुरा, करावल नगर, बाबरपुर, ब्रह्मपुरी, गोकुलपुरी और चांदबाग इलाके में रविवार रात से ही लगातार हिंसा हो रही है। कई इलाकों में तनावपूर्ण शान्ति है तो कई जगहों से बीच बीच में पत्थरबाजी की घटनाओं की जानकारी सामने आ रही है। हिंसा में अब तक सात लोगों की मौत हो चुकी है। हिंसा में जान गंवाने वाले सात लोगों में दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतनलाल भी शामिल हैं। कम से कम 50 अन्य लोग घायल हुए हैं।