दुनिया में दादागिरी और वर्चस्व का दौर अब खत्म हो चुका है- ईरान

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ईरान के विदेशमंत्री ने कहा है कि वर्चस्ववाद और विनाशकारी हथियारों के प्रयोग पर आधारित सोच को वार्ता और समरसता के आधार में परिवर्तित हो जाना चाहिये। विदेशमंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ ने तेहरान में नौरोज़ के संबंध में आयोजित अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेन्स में कहा कि आइये पूरी दुनिया से ईरान की ज़बान से, नौरोज़ की भूमि और नौरोज़ की संस्कृति से कहें कि वर्चस्ववाद से शांति स्थापित नहीं होगी और नौरोज़ की सोच एवं व्यवहार से दुनिया को यह दिखा दें कि वर्चस्व का समय बीत चुका है।

पार्स टुडे डॉट कॉम के अनुसार, विदेशमंत्री ने कहा कि जिन लोगों ने सात ट्रिलियन ख़र्च किया है आज उनकी हालत व परिस्थिति पहले से बदतर है और जान लें कि अगर 70 या 700 ट्रिलियन डालर भी खर्च करेंगे तो भी यही स्थिति रहेगी।

विदेशमंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ का संकेत अमेरिका की ओर है जो शक्ति और ज़ोरज़बरदस्ती के बल पर अपनी नीति को विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में आगे बढ़ाता है।

उनमें से एक स्ट्रैटेजिक क्षेत्र पश्चिम एशिया है जहां अमेरिका ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान कई अरब डालर खर्च किया है परंतु अशांति के जारी रहने और उसकी विफलता के अलावा इसका कोई अन्य परिणाम नहीं रहा है।

डोनाल्ड ट्रंप की अगुवाई में अमेरिका की वर्तमान सरकार इस समय भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एकपक्षीय और वर्चस्ववादी नीति को आगे बढ़ा रही है और यह विश्व की शांति व सुरक्षा के लिए गम्भीर ख़तरा है और इस पर विश्व समुदाय ने प्रतिक्रिया भी जताई है।

अमेरिका पश्चिम एशिया और फार्स खाड़ी के क्षेत्र में अपने हितों को साधने के प्रयास में है और सऊदी अरब जैसे देशों को डराकर यह समझा रहा है कि अमेरिका से हथियार खरीदने से ही उसकी सुरक्षा सुनिश्चित हो सकती है।

अमेरिका का यह रवइया क्षेत्र में हथियारों की होड़ का कारण बना है और क्षेत्र की कुछ सरकारों के हाथों अरबों डालर का हथियार खरीदने के बावजूद क्षेत्र में शांति व सुरक्षा स्थापित नहीं हो पाई है।

इतना अधिक धन खर्च करने के बावजूद अभी हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रात को चुपके से इराक गये थे और कोई भी इराकी अधिकारी उनसे मिलने नहीं गया।

इस्लामी क्रांति संरक्षक बल सिपाहे पासदारान के कमांडर क़ासिम सुलैमान ने इराक में अमेरिका को मिलने वाली विफलता की ओर संकेत करते हुए कहा कि अमेरिका ने क्षेत्र में सात ट्रिलियन डालर ख़र्च किया किन्तु इसके बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति को रात को और वह भी चुपके से इराक जाना पड़ा।

बहरहाल अनुभवों ने दर्शा दिया है कि वर्चस्वादी सोच और हथियारों से शांति स्थापित नहीं हो सकती और एकाधिकार का समय बीत चुका है और शांति स्थापित करने के संबंध में विदेशमंत्री के उक्त बयान को इसी वास्तविकता के परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है।