देश मेरा वोट मेरा मुद्दा मेरा- असली मुद्दों को चुनावी राजनीति के केंद्र में लाने के लिए शुरू किया गया राष्ट्रव्यापी अभियान

   

देशभर के दो दर्जन से अधिक राष्ट्रव्यापी नेटवर्कों व गठबंधन, जिसमें 600 से अधिक सिविल सोसाइटी समूह, जनांदोलन व अभियान समूह शामिल हैं; अभूतपूर्व ढंग से एकत्रित होकर लोकसभा चुनाव में असल मुद्दों को पुनः केंद्र में लाने के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान चलाने जा रहें हैं। सिविल सोसाइटी समूहों ने सभी भारतवासियों से अपील जारी कर कहा कि वो अपना मत गरीब व बहिष्कृत लोगों के पक्ष में खड़े होने वालों को दें, उन्हें अपना मत न दें जो मतदाताओं को युद्धोन्माद में बंधक बनाकर युद्ध के साये में चुनाव लड़ना चाहते हैं।

इन संगठनों के प्रतिनिधियों ने यह घोषणा आज दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता में की। ‘देश मेरा, वोट मेरा, मुद्दा मेरा’ अभियान की शुरुआत 23 मार्च, शहीद दिवस के अवसर पर देशभर के सैकड़ों स्थलों पर कार्यक्रम आयोजित कर की जाएगी।

अभियान की जरूरत समझाते हुए, समाजिक कार्यकर्ता हर्ष मन्दर ने कहा, “ऐसे समय में जब पूरे चुनावी विमर्श को राष्ट्रवाद का चोला पहनकर हाईजैक करने की कोशिश की जा रही है, यह बहुत जरूरी हो गया है कि संवैधानिक मूल्यों में विश्वास रखने वाले सिविल सोसाइटी संगठन, जनांदोलन व समूह एक साथ आकर अपनी ऊर्ज़ा लोकतांत्रिक बैलेंस को पुनर्स्थापित करने में लगाएँ।”

स्वराज अभियान के योगेन्द्र यादव ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “अभी जब गंभीर व सरकार को असहज करने वाले मुद्दे चुनाव में उठने शुरू हुए थे, अचानक पूरा ध्यान राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर शिफ़्ट किया जा रहा है, ताकि यह सरकार अपने प्रदर्शन पर सवाल देने से बच सके।”

कैंपेन के महत्व पर जोर देते हुए, नो वोटर लेफ्ट बिहाइंड फॉरम के सलील शेट्टी ने कहा, “यह अभियान जनता से जुड़े असल मुद्दे जैसे बेरोज़गारी, कृषि संकट, बढ़ती असमानता, तीव्र गति से बढ़ते नफरती हिंसा जिसमें दलितों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं, पत्रकारों, मानवाधिकार रक्षकों पर बढ़ रहे हमले शामिल हैं; बहिष्कृत समूहों की स्थिति व मूलभूत सेवाओं में लगातार आ रही कमी; इत्यादि को केंद्र में लाने के लिए शुरू किया गया है।”

वादा न तोड़ो अभियान की एनी नमाला ने सोशल एक्सक्लूशन के मुद्दों को चुनाव में उठाए जाने पर जोर दिया। प्रतिनिधियों ने विभिन्न समूहों और आंदोलनों द्वारा इन गम्भीर मुद्दों पर तैयार किए गए मैनिफेस्टो और पॉलिसी डॉक्यूमेंट भी पेश किए।

किसान संगठनों की ओर से इस आंदोलन को अपना समर्थन देते हुए अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक वी एम सिंह ने कहा कि संसद के पास लंबित दो किसान मुक्ति बिल तुरंत पास किए जाएँ।

बेरोज़गार युवाओं का प्रतिनिधित्व कर रहे यंग इंडिया अधिकार मंच की सुचेता डे और युवा-हल्लाबोल के अनुपम ने रोज़गार सृजन पर वर्तमान सरकार की पोल खोली। शिक्षा का अधिकार, दलित अधिकार, भोजन का अधिकार व सूचना का अधिकार पर काम कर रहे संगठनों के राष्ट्रव्यापी नेटवर्कों ने भी इस अभियान को अपना समर्थन दिया है।

एनएपीएम के मधुरेश ने बताया कि 23 मार्च को अभियान सुबह आसाम के तिनसुकिया में शुरू होकर देर रात्रि में नन्दरबार, महाराष्ट्र में एक आदिवासी सम्मेलन के साथ सम्पन्न होगा और इस बीच देशभर के हज़ार से अधिक जगहों पर विभिन्न रूपों में कार्यक्रम आयोजित किए जाएँगे।