धार्मिक आधार पर नागरिकता संविधान के ‘विपरीत’ : ओवैसी

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एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को दावा किया कि ‘‘धार्मिक आधार’’ पर दी गई नागरिकता संविधान के ‘‘विपरीत’’ है, जो विवादास्पद संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) का विरोध करने के लिए पर्याप्त कारण है। वह केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उन टिप्पणियों पर जवाब दे रहे थे जिनमें उन्होंने कहा था कि विपक्ष इस कानून पर झूठ फैला रहा है। शाह ने कहा था कि यह कानून नागरिकता देने के लिए है, न कि छीनने के लिए। ओवैसी ने कहा कि यदि कोई कानून ‘‘एक को छोड़कर’’ छह समूहों को नागरिकता प्रदान करता है तो इसका मतलब केवल नागरिकता देने से मना करना है। ओवैसी ने ट्वीट किया, ‘‘धार्मिक आधार पर नागरिकता हमारे संविधान के विपरीत है और इसका विरोध करने के लिए यही कारण पर्याप्त है।’’ इस कानून के अनुसार अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थी – हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का पात्र बनाने का प्रावधान है।