नागरिकता विधेयक के खिलाफ विपक्ष एकजुट, भाजपा ने व्हिप जारी किया

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केंद्र सरकार की ओर से नागरिकता संशोधन विधेयक संसद में पेश किए जाने की तैयारी के बीच कांग्रेस ने इस मुद्दे पर रणनीति तय करने के लिए गुरुवार को प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं के साथ बैठक की। वहीं भाजपा ने इसे लेकर पार्टी सांसदों को व्हिप जारी किया है। विधेयक को 9 दिसंबर को पेश किया जाएगा।

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने संसद भवन परिसर में विपक्ष के नेताओं के साथ बैठक कर नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर रणनीति पर चर्चा की। इस बैठक में तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, आम आदमी पार्टी और कुछ अन्य विपक्षी दलों के नेता शामिल थे।

आप नेता संजय सिंह ने आरोप लगाया कि सरकार यह विधेयक उत्तर प्रदेश और बिहार के लाखों लोगों को देश के दूसरे हिस्सों से बाहर करने के मकसद से ला रही है।

कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी रणनीति तय करने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ विचार-विमर्श करेंगी तथा समान विचारधारा वाले दलों के साथ भी चर्चा होगी।

नागरिकता संशोधन विधेयक में क्या है प्रस्ताव?

नागरिकता संशोधन विधेयक में नागरिकता कानून, 1955 में संशोधन का प्रस्ताव है। इसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्मों के शरणार्थियों के लिए नागरिकता के नियमों को आसान बनाना है।

वर्तमान में किसी व्यक्ति को भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए कम से कम पिछले 11 साल से यहां रहना अनिवार्य है। इस संशोधन के जरिए सरकार नियम को आसान बनाकर नागरिकता हासिल करने की अवधि को एक साल से लेकर छह साल करना चाहती है।

अगर यह विधेयक पास हो जाता है, तो अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के सभी गैरकानूनी प्रवासी हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई भारतीय नागरिकता के योग्य हो जाएंगे।