गौतमबुद्धनगर (नोएडा), 31 जुलाई । बकरीद और रक्षाबंधन के त्योहार के चलते रोडवेज बसों में यात्रियों की संख्या में इजाफा हुआ है। नोएडा परिवहन निगम ने अन्य शहरों की ओर जाने वाली रोडवेज बसों की संख्या भी बढ़ा दी है।
हालांकि 1 जून के बाद अब यात्रियों की संख्या में पहली बार इजाफा देखा गया है। रोडवेज प्रबंधकों को उम्मीद है कि त्योहार के वक्त इस संख्या में और इजाफा होगा। देशभर में शनिवार और सोमवार को क्रमश: बकरीद और रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा। इसी क्रम में नोएडा से जाने वाली बसों की संख्या 100 से बढ़ाकर 159 कर दी गई है।
नोएडा से जाने वाली रोडवेज बसों का दायरा 250 किलोमीटर तक का है। इसमें आगरा, मरेठ, नजीराबाद, अलीगढ़, कासगंज, बिजनौर, हाथरस, मुजफ्फरनगर, रामपुर, बरेली आदि शहरों के लिए बसें संचालित की जाती हैं। नोएडा के मोरना बस अड्डे में कुल 217 रोडवेज बसें हैं।
सेक्टर-35 स्थित मोरना बस अड्डे पर 1 जून से औसतन 10,000 से 12,000 सवारी प्रतिदिन दर्ज की गई, हालांकि शुरुआती वक्त में ये संख्या काफी कम रही, लेकिन त्योहार को देखते हुए 20,000 से 25,000 यात्रियों के सफर करने की उम्मीद जताई जा रही है। वहीं बस स्टैंड पर शुक्रवार को 13000 यात्री दर्ज किए गए।
रोडवेज को लॉकडाउन के बाद शुरुआती दिनों में 2 से 3 लाख रुपये की आय हुई। लेकिन उसके बाद 8 से 9 लाख रुपये की आय हो रही है। त्योहार को देखते हुए करीब 15 लाख रुपये की आय की उम्मीद जताई जा रही है।
नोएडा के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक अनुराग यादव ने बताया, यात्रियों की सुविधा के लिए हमने 59 बसें और बढ़ा दी हैं। अब नोएडा से कुल 159 बसें संचालित हो रही हैं। वहीं रोडवेज बसों में सफर करने वालों की भी संख्या में बढ़ोतरी देखी गई है।
उन्होंने बताया, आम दिनों में जहां करीब 10,000 यात्री रोडवेज बसों से सफर करते थे, तो त्योहार के समय में अब ये संख्या बढ़ गई है। आज ही करीब 13,000 यात्री दर्ज किए गए हैं और हमें उम्मीद है कि अगले 5 दिनों में ये संख्या और भी बढ़ेगी।
उन्होंने आगे कहा, शासन की तरफ से अभी तक रक्षाबंधन पर महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा पर फैसला नहीं लिया गया है। वहीं बकरीद और रक्षाबंधन पर बसों में मौजूद सीटों से अधिक यात्री नहीं बैठाए जाएंगे। सफर के दौरान सभी को कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन करना होगा।
उन्होंने बताया, लॉकडाउन से पहले करीब 30 हजार यात्री नोएडा से अन्य शहरों के लिए सफर करते थे। वहीं आय की बात करें तो लॉकडाउन से पहले 20 से 22 लाख रुपये की आय होती थी, जो कि अब बिल्कुल नहीं हो रही है।
Source: IANS
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