न्यायपालिका में कॉरपोरेट्स की घुसपैठ

   

नई दिल्ली : सरकार न्यायपालिका में हस्तक्षेप कर रही है ऐसा जस्टिस चेलमेश्वर बोले थे लेकिन अब न्यायपालिका में कॉरपोरेट्स की घुसपैठ भी सुप्रीम कोर्ट के लिए चिंता का कारण बन रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका में कॉरपोरेट्स की घुसपैठ पर गंभीर चिंता जाहिर की है। एक बार फिर कोर्ट के आदेश में हेरा-फेरी की बात सामने आई है। मामला विवादित बिल्डर ग्रुप आम्रपाली के 6 सप्लायरों से जुड़ा है। दरअसल, शीर्ष अदालत ने आम्रपाली के सप्लायर्स को सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त फॉरेंसिंक ऑडिटर पवन अग्रवाल के समक्ष हाजिर होने के लिए कहा था, लेकिन उन्हें बदल दिया गया। जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच ने आदेश के बदले जाने पर हैरानी जताई और कहा कि इस घटना से यह बात पुष्ट होती है कि न्यायापालिक में घुसपैठ करके कॉपोरेट घरानों ने कोर्ट-स्टाफ को प्रभावित किया है।

उल्लेखनीय है कि जस्टिस मिश्रा की बेंच ने पहले ही उन आरोपों की जांच के आदेश दिए हैं, जिनमें कहा गया था कि बिचौलिए और फिक्सर न्यायपालिका की कार्यवाही को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। बुधवार को जस्टिस मिश्रा ने पाया कि उनके द्वारा दिए गए आदेश को भी बदल दिया गया है। न्यायालय ने कहा कि इससे पहले भी कोर्ट के आदेशों को बदला गया है। गौरतलब है कि उद्योगपति अनिल अंबानी से जुड़े कंटेंप्ट केस में जस्टिस आरएफ नरीमन द्वारा दिए गए आदेश को भी बदल दिया गया था। तब मामले में कोर्ट के दो कर्मचारियों को नौकरी से निकाला गया था और उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया।

जस्टिस मिश्रा ने कहा, यह बेहद शरारती तरीके से किया गया है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। यहां (सुप्रीम कोर्ट) क्या हो रहा है? वे हमारी ऑर्डर शीट में हेरफेर करने की कोशिश कर रहे हैं। अदालत में काफी चिंताजनक चीजें हो रही हैं। कुछ और लोगों को जाना होगा और 2-3 लोगों को हटाने से काम नहीं बनेगा। इससे न्यायपालिका तबाह हो रही है और इसे किसी भी सूरत में होने नहीं दिया जाएगा। हम जैसे लोग आते-जाते रहेंगे, लेकिन संस्था अमेशा रहेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी आम्रपाली ग्रुप को कड़ी फटकार लगाई थी। होमबायर्स को समय पर पजेशन न देने और प्रॉजेक्ट्स के लटकने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा था कि रियल एस्टेट कंपनियों में फ्लैटबायर्स के पैसे को दूसरे प्रॉजेक्ट में लगाने का चलन एक अपराध की तरह है और यह बंद होना चाहिए।

साभार : जनसत्ता