पश्चिम बंगाल में चुनाव के मद्देनजर भारी संख्या में सुरक्षा बलों को किया गया तैनात!

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पश्चिम बंगाल में 18 अप्रैल को दूसरे चरण में तीन सीटों के लिए होने वाले मतदान के लिए आयोग ने केंद्रीय बलों की संख्या दोगुनी कर दी है। चुनाव आयोग ने दार्जीलिंग, रायगंज और जलपाईगुड़ी में होने वाले मतदान के लिए केंद्रीय बलों की 194 कंपनियां (करीब 15,000 जवान) तैनात करने का फैसला किया है। 11 अप्रैल को संपन्न हुए पहले चरण के चुनाव के लिए आयोग ने यहां सुरक्षा बलों की 83 कंपनियां तैनात की थीं।

बताया जाता है कि दार्जीलिंग संसदीय क्षेत्र में सबसे ज्यादा सुरक्षा बलों को तैनात किया जायेगा। मतदान के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा का इस क्षेत्र का पुराना इतिहास है। इसलिए आयोग ने यहां सबसे ज्यादा बलों की तैनाती का निर्णय लिया है। केंद्रीय बलों के जवानों की तैनाती का यह आंकड़ा राज्य पुलिस बल के अतिरिक्त है।

चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, दार्जीलिंग में करीब 16 लाख मतदाताओं के लिए 1,899 मतदान केंद्र बनाये गये हैं, जबकि जलपाईगुड़ी में करीब 17 लाख मतदाताओं के लिए 1,868 मतदान केंद्र बनाये गये हैं।

वहीं, रायगंज के 16 लाख वोटर्स के लिए 1,623 बूथ बनाये गये हैं। पहले चरण के मतदान के लिए चुनाव आयोग ने 3,844 बूथों पर करीब 6,000 केंद्रीय बलों को तैनात किया था, जबकि इस बार 5,390 बूथों की सुरक्षा में 15,000 जवान तैनात किये जायेंगे।

चुनाव आयोग ने लोगों के मन का भय दूर करने के लिए अतिरिक्त बलों की तैनाती का फैसला किया है, ताकि मतदाता बिना किसी डर के अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए घरों से बाहर निकलें।

बताया गया है कि हर क्षेत्र में 1,000 से अधिक अतिरिक्त बलों कै तैनात किया जायेगा। ये जवान गांवों में पैट्रोलिंग करेंगे। चुनाव खत्म होने के बाद स्ट्रांग रूम की सुरक्षा करेंगे।

ज्ञात हो कि पहले चरण के मतदान में बड़े पैमाने पर वोट में गड़बड़ी की शिकायतें मिली थीं। बूथ कब्जा करने, मतदाताओं को मतदान करने से रोकने की शिकायतें चुनाव आयोग को मिली थीं।

कूचबिहार में मतदान संपन्न होने के बाद भाजपा प्रत्याशी निशीथ प्रमाणिक ने धरना दिया और सभी मतदान केंद्रों पर फिर से चुनाव कराने और केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग की।

पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस के मंत्री और कूचबिहार जिला के प्रमुख रवींद्रनाथ घोष ने भी कुछ बूथों पर पुनर्मतदान की मांग की. श्री घोष ने चुनाव आयोग पर भाजपा के पक्ष में काम करने का आरोप भी लगाया।

मामला यहीं नहीं रुका। मतदान अधिकारियों ने राज्य पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाये। विरोध दर्ज कराते हुए मतदान अधिकारियों ने कहा कि राज्य पुलिस बल की मौजूदगी में वह खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे।

एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि उन्होंने चुनाव आयोग से अपील की है कि सभी बूथों पर केंद्रीय बलों को तैनात किया जाये। उन्होंने कहा कि बंगाल की स्थिति अन्य राज्यों से बिल्कुल अलग है।

वहीं, एक तृणमूल कांग्रेस के नेता ने जलपाईगुड़ी में दावा किया कि कूचबिहार में बीएसएफ के जवानों ने लोगों को अपने वाहनों में मतदान केंद्र तक पहुंचाया।

बीएसएफ के जवानों ने लोगों से कहा कि वे बीजेपी के पक्ष में मतदान करेंगे। तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि केंद्रीय बलों को तैनात करके भारतीय जनता पार्टी चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है।

राज्य पुलिस निष्पक्ष चुनाव कराने में सक्षम है। उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दार्जीलिंग सीट को अपने लिए प्रतिष्ठा का विषय बना लिया है। वह हर हाल में यहां जीत दर्ज करना चाहती है।

पार्टी को दार्जीलिंग में कभी जीत नहीं मिली। लेकिन, इस बार गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के दो फाड़ हो जाने की वजह से ममता को उम्मीद है कि वह इस बार यह सीट जीत लेंगी। ज्ञात हो कि दार्जीलिंग में लोग गोरखा जनमुक्ति मोर्चा की अपील पर वोट करते हैं और इस बार यही मोर्चा दो धड़ों में बंट गया है।

प्रभात खबर पर छपी खबर के अनुसार, ममता बनर्जी ने गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के विधायक अमर सिंह राई को उम्मीदवार बनाया है। विनय तमांग गुट तृणमूल के साथ है, तो बिमल गुरुंग का गुट बीजेपी के साथ खड़ा है। मोर्चा में गुटबाजी की वजह से बीजेपी को भी इस बार काफी मेहनत करनी पड़ रही है।

दूसरी तरफ, गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट (जीएनएलएफ) ने बीजेपी को समर्थन देने का एलान कर दिया है। तीन दशक में यह पहला मौका है, जब पहाड़ पर गोरखालैंड की मांग कोई मुद्दा नहीं है। इस क्षेत्र में पहली बार विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ा जा रहा है।