पाक ने कहा, सेना के कब्जे में है कश्मीर, भारत ने कहा, मिलिट्री रूल पाक का इतिहास है

   

नई दिल्ली : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, मानवाधिकार परिषद, संयुक्त राष्ट्र महासभा में मुंह की खाने के बाद अब पाकिस्तान ने युगांडा में आयोजित कॉमनवेल्थ पार्ल्यामेंट्री कॉन्फ्रेंस में भारत के खिलाफ जहर उगला, जिसका उसे करारा जवाब मिला। दरअसल, पाकिस्तानी प्रतिनिधिनियों ने शनिवार को कश्मीर में सुरक्षा बलों की मौजूदगी पर सवाल उठाया। इसका जवाब देते हुए भारत ने कहा कि उसे पहले अपने घर में झांकना चाहिए, जहां सैन्य शासन एक परंपरा बन चुकी है। भारतीय संसदीय शिष्टमंडल की सदस्य रूपा गांगुली ने पाकिस्तानी दुष्प्रचार का पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि सैनिक शासन की परंपरा पाकिस्तान में रही है और वह 33 साल सेना के शासन में रहा है। भारत में सैनिक शासन कभी भी और कहीं भी नहीं रहा है।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के नेतृत्व में भारतीय संसदीय शिष्टमंडल 22 से 29 सितंबर, 2019 तक कम्पाला, युगांडा में आयोजित किए जा रहे 64वें राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन में भाग ले रहा है। इस शिष्टमंडल में कांग्रेस के सांसद अधीर रंजन चौधरी, बीजेपी सांसद रूपा गांगुली, डॉक्टर एल हनुमंथैया, अपराजिता सारंगी और लोकसभा की महासचिव स्नेहलता श्रीवास्तव शामिल हैं। भारत की ओर से राज्य विधानमंडलों के पीठासीन अधिकारी और सचिव जो राष्ट्रमंडल संसदीय संघ के सदस्य भी हैं, इस सम्मेलन में भाग ले रहे हैं।

64वें कॉमनवेल्थ पार्ल्यामेंट असोसिएशन में भारत

शनिवार को 64वें कॉमनवेल्थ पार्ल्यामेंट असोसिएशन में भारत की तरफ से सांसद अधीर रंजन चौधरी, रूपा गांगुली और एल हनुमंतैया मौजूद थे। भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि पाकिस्तान में सैन्य शासन की परंपरा जारी है और यह देश 33 सालों तक सैन्य शासन में रहा है। लोकसभा सचिवालय की तरफ से जारी बयान के मुताबिक, ‘सांसद रूपा गांगुली और भारतीय संसद के अन्य प्रतिनिधियों ने पाकिस्तान के प्रॉपेगैंडा का कड़ा विरोध किया।’

भारतीयों को आतंकवाद की फैक्ट्री चलाने वाले देश से नसीहत लेने की जरूरत नहीं

उल्लेखनीय है कि इससे पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाक पीएम इमरान खान ने भारत के खिलाफ भड़काऊ बातें कही थीं। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में प्रथम सचिव विदिशा मैत्रा ने जवाब देते हुए कहा कि भारतीयों को आतंकवाद की फैक्ट्री चलाने वाले देश से नसीहत लेने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि क्या पाकिस्तान के पीएम इस बात की पुष्टि नहीं करेंगे कि उनका देश UN द्वारा घोषित 130 आतंकियों और 25 आतंकी संगठनों की शरणस्थली है?

इससे पहले मालदीव में आयोजित ‘सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति’ विषय पर दक्षिण एशियाई देशों की संसदों के अध्यक्षों के चौथे शिखर सम्मलेन में भी भारत ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया था। 1-2 सितंबर 2019 को माले में हुए सम्मेलन के दौरान भी पाकिस्तान ने यह मुद्दा उठाया था। इस पर राज्यसभा के डेप्युटी चेयरमैन हरिवंश ने पाकिस्तान को जमकर सुनाया था। माले घोषणापत्र में पाकिस्तान के द्वारा उठाए गए मुद्दों को पूर्णतया नकार दिया गया।