पिज्‍जा डिलीवरी ब्‍वॉय बना जम्‍मू कश्‍मीर पुलिस में सब इंस्‍पेक्‍टर, जानें कौन हैं मोईन खान ?

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28 वर्ष के मोइन खान अब खाकी वर्दी में इतराते हैं और अपने सपने को पूरा करने के बाद पूरी शान के साथ वर्दी को पहनकर निकलते हैं। मोइन की कहानी आप सभी को प्रेरणा दे सकती है। जम्‍मू कश्मीर, जहां आतंकी अक्‍सर सुरक्षाबलों और सरकारी नौकरी ज्‍वॉइन न करने को लेकर धमकी देते रहते हैं, वहां से मोइन खान ने अपने सपने को पूरा करके दिखाया है।

मोइन पिज्‍जा डिलीवरी ब्‍वॉय थे और इसके अलावा पैसे कमाने के लिए उन्‍हें कार धोने से लेकर राशन की दुकान तक पर सात वर्ष तक काम किया। इसके बाद भी उनके सपनों का रंग जरा भी फीका नहीं पड़ा। आज वह खाकी वर्दी और कंधों पर सितारों को सजाने का अपना सपना पूरा कर चुके हैं

माता- पिता अशिक्षित मोइन खान का सपना अगर उनकी मेहनत और लगन का नतीजा है तो एक और व्‍यक्ति ने उनकी मदद की। आईपीएस ऑफिसर संदीप चौधरी जो जम्‍मू में बिना फीस के ऑपरेशन ड्रीम्‍स को चला रहा है। संदीप, ऑपरेशन ड्रीम्‍स के तहत मुफ्त में युवाओं को कोचिंग देते हैं और पुलिस फोर्स के लिए तैयार करते हैं।

मोइन खान बताते हैं, ‘मैं नगरोटा के थंडा पानी गांव का रहने वाला हूं। मेरे माता-पिता अशिक्षित हैं और मैं अपने घर में ग्रेजुएशन पूरा करने वाला पहला इंसान हूं।’ खान के बड़े भाई को डाउन सिंड्रोम है और उनका इलाज जारी है। फिलहाल खान, उधमपुर स्थित पुलिस ट्रेनिंग एकेडमी में ट्रेनिंग हासिल कर रहे हैं। वेटर के अलावा कार धोने का भी काम मोइन के पिता मोहम्‍मद शरीफ दूध बेचने का काम करते थे। इसके बाद उन्‍होंने गुजरात में एक ढाबा खोला लेकिन साल 2009 में उनका एक्‍सीडेंट हो गया।

इसके बाद मोइन के कंधों पर परिवार की जिम्‍मेदार आ गई। परिवार की मदद के लिए मोइन छोटे-मोटे काम करने लगे। साल 2012 में पत्राचार के जरिए उन्‍होंने कॉमर्स में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद पिज्‍जा हट में वेटर के तौर पर काम करने लगे। तीन वर्षों तक मोइन 2500 रुपए प्रतिमाह की तनख्‍वाह पर काम करते थे। साथ ही साथ वह बीबीए की पढ़ाई भी करते रहे। खान शाम छह बजे से रात दो बजे तक वेटर का काम करते थे। उनके दोस्‍तों ने नरवाल में एक छोटी सी जगह का इंतजाम कर लिया था।

यहां पर उन्‍होंने दोस्‍तों की मदद से कार धोने का बिजनेस शुरू किया। तीन साल तक वह यह काम करते रहे। दोस्‍तों ने बताया आईपीएस संदीप के बारे में साल 2016 में उन्‍होंने सब-इंस्‍पेक्‍टर की भर्ती का एडवरटाइजमेंट देखा और इसके लिए अप्‍लाई कर दिया। उनके एक दोस्‍त ने उन्‍हें बताया कि एक आईपीएस ऑफिसर एक हॉल में उन छात्रों को कोचिंग देते हैं तो आर्थिक रूप से कमजोर हैं। मोइन को पता लगा कि ऑफिसर फ्री में छात्रों को पढ़ाते हैं।

मोइन ने क्‍लास में एडमिशन लिया और इसकी मदद से परीक्षा पास करने में सफलता हासिल की। दिसंबर 2018 में परीक्षा के नतीजे आए और एक हफ्ते पहले उन्‍होंने ट्रेनिंग एकेडमी को ज्‍वॉइन किया। कौन हैं आईपीएस संदीप आईपीएस संदीप, शोपियां के रहने वाले हैं। उन्‍होंने बताया कि जम्‍मू में ऑपरेशन ड्रीम्‍स की शुरुआत हुई और 150 छात्रों को पढ़ाना शुरू किया गया।

सुबह आठ बजे से 10 बजे तक छात्रों को पढ़ाया जाता है। संदीप की मानें तो मोइन ने फिजिकल्‍स के अलावा रिटेन और फिर इंटरव्‍यू में बहुत मेहनत की। उन्‍हें भी मोइन की सफलता पर गर्व है। आईपीएस संदीप कहते हैं कि मोइन की सफलता सच में कड़ी लगन का नतीजा है। कोई भी लक्ष्‍य मुश्किल नहीं होता है। एक पिज्‍जा हट वेटर से पुलिस सब इंस्‍पेक्‍टर तक का सफर यह बताने के लिए काफी है कि हम अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं।