पुलवामा हमला: क्या भारत- पाकिस्तान फिर आ सकते हैं आमने-सामने?

,

   

भारत प्रशासित जम्मू और कश्मीर में उग्रवादी हमले ने नई दिल्ली और इस्लामाबाद को फिर से टकराव के रास्ते पर ला दिया है. सुरक्षा विश्लेषकों का कहना है कि विवाद का राजनीतिक समाधान और मुश्किल हो गया है.

गुरुवार को श्रीनगर के बाहरी इलाके में हुए आत्मघाती हमले में सीआरपीएफ के कम से कम 42 जवान मारे गए हैं. पाकिस्तान स्थित उग्रपंथी गुट जैश ए मोहम्मद ने हमले की जिम्मेदारी ली है. यह पहली बार नहीं है कि कट्टरपंथी इस्लामी गुट ने कश्मीर के भारतीय हिस्से में हमला किया है, लेकिन गुरुवार का हमला अब तक का सबसे घातक हमला था.

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमले को कायरना बताया है जबकि दूसरे भारतीय अधिकारियों ने कहा है कि उनके पास पक्के सबूत हैं कि हमले में इस्लामाबाद का “सीधा हाथ” है. उन्होंने कड़ा जवाब देने की बात कही है. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने सरकार का हाथ होने से इंकार किया जबकि अमेरिका और जर्मनी सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने हमले की कड़ी निंदा की है.

आत्मघाती हमले का पहले से खराब चल रहे भारत पाकिस्तान रिश्तों पर बुरा असर होगा. भारत और पाकिस्तान दोनों पूरे कश्मीर पर अपना दावा करते हैं लेकिन उसका एक एक हिस्सा उनके पास है. दोनों पड़ोसी कश्मीर पर तीन लड़ाई लड़ चुके हैं. 1980 के दशक से कश्मीर में अलगाववादी आंदोलन चल रहा है लेकिन पिछले सालों में वह लगातार हिंसक होता गया है.

डी डब्ल्यू हिन्दी पर छपी खबर के अनुसार, भारत से सुरक्षा विश्लेषक समीर शरण ने म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन के हाशिए पर डॉयचे वेले से बात करते हुए कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं कि ताजा हमले में पाकिस्तान का हाथ है. उन्होंने कहा, “यह सीमा पार के उग्रपंथियों द्वारा किया गया नृशंस आतंकवादी हमला था, जिन्हें पाकिस्तान समर्थित प्रॉक्सी नेटवर्क प्रशिक्षण और पैसा दिया जा रहा है.”

समीर शरण ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा हमले का जवाब दिए जाने की संभावना है. उनका कहना है कि इस हमले की प्रतिक्रिया में भारत सैनिक कार्रवाई कर सकता है.