पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने RSS मुख्यालय को बताया शेर की मांद!

   

एनडीटीवी की सोनिया सिंह ने किताब Defining India: Through Their Eyes के लिए इंटरव्यू में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से RSS मुख्यालय जाने के बारे में पूछने पर मुस्कुराते हुए कहा कि, मैं शेर की मांद में जाना चाहता था और उन्हें दिखाना चाहता था कि वे गलत कर रहे हैं। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी 6 जून 2018 को नागरपुर में संघ मुख्यालय की बैठक को संबोधिक किया था। उन्होंने संघ के कार्यक्रम में कहा था, सहिष्णुता हमारी मज़बूती है। हमने बहुलतावाद को स्वीकार किया है और उसका आदर करते हैं. हम अपनी विविधता का उत्सव मनाते हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि हम सहमत हो सकते हैं, असहमत हो सकते हैं, लेकिन हम वैचारिक विविधता को दबा नहीं सकते।

बता दें कि इससे पहले प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) मुख्यालय में भाषण देने के लिए आरएसएस के निमंत्रण को स्वीकार करते हुए आसानी से वो सुर्खियाँ बनायीं जो अभी तक किसी भी पूर्व राष्ट्रपति ने नहीं बनायीं हैं|

एनडीटीवी की सोनिया सिंह ने किताब Defining India: Through Their Eyes के लिए इंटरव्यू में पूर्व राष्ट्रपति ने मोदी सरकार की तरफ से भारत रत्न दिए जाने से लेकर आरएसएस मुख्यालय से निमंत्रण और आपातकाल जैसे विभिन्न मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखी। भारत रत्न सम्मान मिलने के बारे में बातचीत करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बताया कि प्रधानमंत्री ने मेरी सहमति जानने के लिए 25 जनवरी को शाम 6 बजे फोन किया था। उन्होंने कहा, सामान्य रूप से प्रधानमंत्री मुझसे व्यक्तिगत रूप से मिलते और मेरी रजामंदी लेते लेकिन वह गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति की यात्रा के कारण व्यस्त थे।

हालांकि, प्रधानमंत्री चाहते थे कि भारत रत्न की घोषणा गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर ही हो और राष्ट्रपति को अधिसूचना जारी करने की सलाह से पहले उन्हें मेरी सहमति की जरूरत थी। राष्ट्रपति भवन की तरफ से घोषणा से पहले इसके बारे में किसी को जानकारी नहीं देने की घटना को याद करके मुस्कुराते हुए प्रणब ने कहा, पीएम मोदी ने मुझसे कहा कि राष्ट्रपति आपकी सहमति को लेकर मेरे फोन की प्रतीक्षा कर रहे हैं। पूर्व राष्ट्रपति ने हंसते हुए बताया, मेरी बेटी शर्मिष्ठा जो मेरे साथ रहती थी, मुझपर काफी गुस्सा हो गई।

उसने कहा, आपको भारत रत्न दिया जा रहा है और आप ऐसे रिएक्ट कर रहे हैं जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो। आपने यहां तक कि मुझे भी नहीं बताया। उन्होंने बताया, इस पर मैंने कहा कि मैं औपचारिक अधिसूचना का इंतजार कर रहा था। उसने गुस्से में कहा, अधिसूचना क्या होती है, आपको इंतजार करने की क्या जरूरत थी, निश्चित रूप से जब प्रधानमंत्री ने फोन किया था तो इसमें कोई शक ही नहीं रह जाता है।