प्रशांत भूषण के समर्थन में आए 1.5 हजार से ज्यादा वकील, SC को लिखा पत्र

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कोर्ट की अवमानना के दोषी करार दिए गए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के समर्थन में कई जज , एक हजार से ज्यादा वकील, रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट और शिक्षाविद आगे आए हैं. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि इनकी संख्या 3000 से ज्यादा है.इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि प्रशांत भूषण मामले में देश के कई वकीलों में इसे लेकर ‘बेचैनी’ की स्थिति है.

वकीलों ने एक बयान में कहा है कि बार को अवमानना का डर दिखाकर चुप कराने से सुप्रीम कोर्ट की ही स्वतंत्रता और ताकत कम होगी. रिपोर्ट के मुकाबिक, दरअसल 1500 से ज्यादा वकीलों ने, जिनमें बार के वरिष्ठ सदस्य भी शामिल हैं, सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि वह सुधारात्मक कदम उठाकर न्याय की विफलता को रोकें.

इस अपील पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले वकीलों में श्रीराम पांचू, अरविंद दतार, श्याम दीवान, मेनका गुरू स्वामी, राजू रामचंद्रन, बिश्वजीत भट्टाचार्य, नवरोज सीरवाई, जनक द्वारकादास, इकबाल चागला, दारिअस खंबाटा, वृन्दा ग्रोवर, मिहिर देसाई, कामिनी जायसवाल और करूणा नंदी शामिल हैं. इन नामों के अलावा सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे सहित 41 वकीलों ने भी हस्ताक्षर करते सुप्रीम कोर्ट के जजों और आम लोगों के लिए एक खुला पत्र लिखा

बयान में कहा गया है कि देश की शीर्ष अदालत का यह फैसला जनता की नजरों में कोर्ट का अधिकार बहाल नहीं करता है बल्कि यह फैसला वकीलों को खुलकर बोलने से रोकेगा. जजों पर जब दबाव बनाया जाता था और उनके बाद की घटनाओं पर बार ही थी, जिसने पहली बार न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए आवाज उठायी थी. बयान में कहा गया है कि प्रशांत भूषण सुप्रीम कोर्ट के अच्छे वकीलों में शुमार किए जाते हैं और शायद वह एक आम आदमी नहीं हैं लेकिन उनके ट्वीट्स सामान्य से हटकर कुछ नहीं कहते हैं. प्रशांत भूषण के पक्ष में हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इससे संबंधित एप्लीकेशन पर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के 13 जजों समेत 3000 से ज्यादा वकील दस्तखत कर चुके हैं.

प्रशांत भूषण का पूरा मामला

गौरतलब है कि 14 अगस्त को जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने प्रशांत भूषण को उनके दो ट्वीट्स के लिए कोर्ट की अवमानना का दोषी करार ठहराया. कोर्ट ने कहा था कि ये ट्वीट्स तोड़े-मरोड़े गए तथ्यों पर आधारित थे और इनसे सुप्रीम कोर्ट की बदनामी हुई. 20 अगस्त को प्रशांत भूषण की सजा पर बहस होगी. इससे पहले प्रशांत भूषण को नवंबर 2009 में भी सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का नोटिस दिया था. तब उन्होंने एक मैगजीन को दिए इंटरव्यू में सुप्रीम कोर्ट के कुछ जजों पर टिप्पणी की थी.