प्रिंस सलमान की नीतियों का असर: महिलाएं उठाने लगी हैं इस्लाम के खिलाफ़ आवाज़!

   

सऊदी अरब की 18 वर्षीय किशोरी ” रहफ अलक़ुनून” अपने देश से भागने के बाद बड़ी कोशिशों से कनाडा से शरण प्राप्त करने में सफल हो गयी हैं।

सऊदी अरब में इस प्रकार की किशोरियों की कमी नहीं हैं तो सवाल यह है कि सऊदी अरब से महिलाएं क्यों भाग रही हैं? और इस देश को छोड़ने की इच्छा उनमें क्यों मज़बूत हो रही है?

वास्तव में पश्चिम के अनुसार सऊदी अरब, तानाशाही का दुर्ग है लेकिन यह तानाशाही , महिलाओं के प्रति जिस प्रकार की है उसकी तुलना इस देश के पुरुषों के लिए तानाशाही से कदापि नहीं की जा सकती।

इस देश में महिलाओं को बहुत कम अधिकार प्राप्त हैं जिसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले साल जब सऊदी अरब में महिलाओं को कई शर्तों के साथ कार चलाने की अनुमति मिली तो सऊदी अरब ने इस पर गर्व किया और इस देश की मीडिया में इस की खूब चर्चा रही।

हयूमन राइट्स वॅाच का कहना है कि सऊदी अरब में महिलाओं का पूरा जीवन सीमाओं और वर्जनाओं से घिरा रहता है और उन्हें हर क़दम पर हर काम के लिए पुरुषों से अनुमति लेना पड़ता है और सऊदी सरकार की नज़र में वह कभी बालिग नहीं होती कि उन्हें अपने बारे में फैसला करने का अधिकार हो।

यही वजह है कि रहफ अलक़ुनून के भागने के बाद सोशल मीडिया पर सऊदी अरब में व्यस्कता का कैंपन चला है जिसमें कहा जा रहा है कि अगर सऊदी अरब की महिलाओं पर पुरुषों की अभिभावकता के क़ानून को खत्म न किया गया तो इस देश की सारी महिलाएं भाग जाएंगी। इस प्रकार की घटनाओं से यह स्पष्ट हो जाता है कि सऊदी अरब में सुधार के सारे दावे खोखले हैं।

साभार- ‘parstoday.com’