फलस्तीनी संघर्षकरताओं की बढ़ती ताक़त ने इजरायल को मजबूर किया!

   

इस्राईली मीडिया में यह ख़बरें बहुत तेज़ी से गश्त कर रही हैं कि पश्चिमी तट के इलाक़े में बहुत बड़ा बदलाव आ गया है। पश्चिमी तट का इलाक़ा वही है जिसका संचालन महमूद अब्बास के नेतृत्व वाले फ़िलिस्तीनी प्रशासन के हाथ में है और इस प्रशासन ने इस्राईल के साथ सुरक्षा समन्वय कर रखा है जिसके तहत फ़िलिस्तीनी प्रशासन इस बात को सुनिश्चित करता है कि पश्चिमी तट के इलाक़े में इस्राईल के ख़िलाफ़ सशस्त्र संघर्ष नहीं शुरू होगा।

इसके लिए फ़िलिस्तीनी प्रशासन की सुरक्षा फ़ोर्सेज़ उन फ़िलिस्तीनियों की गिरफ़तारी में इस्राईल की मदद करती हैं जो इस्राईल के ख़िलाफ़ हथियार उठाते हैं।

मगर दूसरी ओर ग़ज़्ज़ा पट्टी का इलाक़ा है जहां उन फ़िलिस्तीनी संगठनों का वर्चस्व है जो फ़िलिस्तीन के ख़िलाफ़ सशस्त्र संघर्ष की नीति पर चलते हुए काफ़ी ताक़तवर बन चुके हैं।

यही नहीं इन संगठनों ने बड़ी सूझबूझ और चालाकी से पश्चिमी तट के इलाक़े में अपनी पैठ बना ली है जिसका नतीजा यह है कि इस इलाक़े में महमूद अब्बास की पुलिस के प्रयासों के बावजूद फ़िलिस्तीनी युवाओं की ओर से संघर्ष तेज़ होता जा रहा है।

इस्राईली मीडिया इस समय यही ख़बरें हैं कि पश्चिमी तट के इलाक़े में हालात बहुत तेज़ी से बदल रहे हैं। महमूद अब्बास के तहत काम करने वाली पुलिस भी कमज़ोर पड़ गई है और उसने फ़िलिस्तीनी संघर्षकर्ताओं के विरुद्ध अपनी कार्यवाहियों में ढील दे दी है।

इसका कारण यह है कि अमरीका ने इस्राईल के इशारे पर डील आफ़ सेंचुरी के नाम से जो योजना तैयार की है उससे महमूद अब्बास के नेतृत्व वाला फ़िलिस्तीनी प्रशासन बहुत नाराज़ है और उसने अमरीकी अधिकारियों से मुलाक़ातें बंद कर दी हैं।

इस बीच अमरीका और इस्राईल ने महमूद अब्बास पर दबाव डालने के लिए उन्हें दी जाने वाली आर्थिक सहायता रोक दी है। इन हालात में पश्चिमी तट के इलाक़े में इस्राईल विरोधी भावना बहुत तेज़ हो गई है और फ़िलिस्तीनी पुलिस न तो इस पर क़ाबू पा सकी है और न ही उसके अंदर अब इसकी इच्छाशक्ति बची है।

पार्स टुडे डॉट कॉम के अनुसार, इस्राईल के इंटेलीजेन्स अधिकारियों का कहना है कि महमूद अब्बास अब पश्चिमी तट के इलाक़े का संचालन अपने हाथ में नहीं रख पाएंगे इसलिए इस बात की संभावना बढ़ गई है कि पश्चिमी तट में रहने वाले फ़िलिस्तीनियों और इस्राईली सैनिकों के बीच झड़पें शुरू हो जाएं।

महमूद अब्बास इन दिनों बहुत निराश हैं क्योंकि फ़िलिस्तीनी जनता में हमास और जेहादे इस्लामी संगठनों की लोकप्रियता बढ़ी है जिन्होंने इस्राईल के ख़िलाफ़ संघर्ष का रास्ता चुनकर काफ़ी बड़ी सफलताएं हासिल की हैं।

इन संगठनों की रणनीति को महमूद अब्बास पसंद नहीं करते। महमूद अब्बास के लिए समस्या यह उत्पन्न हो गई है कि अब अमरीका और इस्राईल के अधिकारी भी उन्हें नहीं पसंद कर रहे हैं जिनके साथ महमूद अब्बास शांति वार्ता पर हमेशा ज़ोर देते रहे हैं।

हालिया समय में ग़ज़्ज़ा के इलाक़े में फ़िलिस्तीनी संगठनों और इस्राईल के बीच टकराव हुआ तो इन संगठनों की ताक़त बहुत खुलकर सामने आई और इस्राईल को आनन फ़ानन में संघर्ष विराम करना पड़ा।

महमूद अब्बास को अमरीका और इस्राईल से मिलने वाली आर्थिक सहायता भी बंद है जिससे वह बड़े आहत हैं और वैकल्पिक रास्ते तलाश कर रहे हैं। यदि महमूद अब्बास को वैकल्पिक मार्ग मिल गए तो इसका सीधा नुक़सान इस्राईल को होगा। इसका मतलब यह है कि ग़ज़्ज़ा पट्टी के साथ ही पश्चिमी तट के इलाक़े में भी इस्राईल की समस्याएं बढ़ने वाली हैं।