सैन फ्रांसिस्को, 15 मार्च । फेसबुक में हुई एक इंटरनल स्टडी में इस बात का पता लगा है कि यूजर्स के एक छोटे से समूह द्वारा कोविड-19 वैक्सीन को लेकर भ्रामक जानकारियों का प्रसार किया जा रहा है। इससे लोगों के मन में इसे लेकर आशंकाएं पैदा हो रही हैं और ये टीकाकरण करवाने से कतरा रहे हैं।
निष्कर्ष से पता चलता है कि 638 आबादी क्षेत्रों में से केवल 10 ही वैक्सीन से संबंधित भ्रामक जानकारियों से लैस हैं, जो कुल आंकड़े का 50 प्रतिशत है।
वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वैक्सीन को लेकर जिस आबादी में अधिक झिझक है, उनमें भ्रामक जानकारियों का प्रसार करने में सिर्फ 111 यूजर्स का योगदान है।
फेसबुक के किए इस खोज में एक क्यूएऑन कनेक्शन का भी पता लगा है, जो कोरोना वैक्सीन के गलत प्रचार के पीछे जिम्मेदार है। यह अमेरिका में एक कॉन्सपिरेसी थ्योरी ग्रुप है।
रविवार को इस रिपोर्ट में कहा गया, वैक्सीन होने के बावजूद लोग इसे लेने से क्यों कतरा रहे हैं। इसी बात को समझने के लिए यह शोध बड़े पैमाने पर किया गया एक प्रयास है। सोशल मीडिया पर की गई इस स्टडी से लाखों की संख्या में लोगों से जानकारी एकत्र की गई।
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