नई दिल्ली, 8 मार्च । मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की करीबी मानी जाने वाली पूर्व आईपीएस अधिकारी भारती घोष ने सुप्रीम कोर्ट से अपने गिरफ्तारी वारंट पर रोक लगाने और एफआईआर को खत्म करने की मांग की है।
भारती घोष तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार हुमायूं कबीर के खिलाफ पश्चिम मिदनापुर जिले के डेबरा निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा की उम्मीदवार हैं। वह भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) की अधिकारी रही हैं।
घोष ने अपने हस्तक्षेप आवेदन में कहा कि वह केशपुर के सभी बूथों में अभूतपूर्व हिंसा का सामना कर रही हैं और 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान उनके खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी में गलत, आधारहीन और दुर्भावनापूर्ण सामग्री हैं, जो सभी एक सुनियोजित राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा हैं।
दलील में कहा गया कि 19 फरवरी 2019 को उनके खिलाफ दर्ज सिलसिलेवार झूठे मामलों में शीर्ष न्यायालय ने उन्हें किसी तरह की कठोर कार्रवाई से राहत प्रदान की थी, इसके बावजूद भी उन्हें नए मामलों में फंसाया जा रहा है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि इस तरह की प्राथमिकी को यथासंभव लंबे समय तक गुप्त रखा जाता है और याचिकाकर्ता को प्रताड़ित करने के लिए अचानक ही उसे सामने ला दिया जाता है, ताकि वह हर समय अदालती कार्यवाही में फंसी रहें और उन्हें अपना राजनीतिक करियर बनाने से रोका जा सके।
न्यायमूर्ति यू.यू. ललित और न्यायमूर्ति के.एम. जोसफ की पीठ ने इस मामले को मंगलवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
भारती के खिलाफ 12 मई 2019 को संसदीय चुनावों के दौरान हत्या की कोशिश सहित जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों और कई गंभीर आरोपों के साथ एफआईआर दर्ज की गई है।
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