बलात्कार पर संयुक्त राष्ट्र में जर्मनी ने किया नया प्रस्ताव पेश!

   

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने हिंसाग्रस्त इलाकों में रेप को लेकर नया प्रस्ताव स्वीकार किया है। इसे जर्मनी ने पेश किया था और अमेरिका के दबाव के बाद प्रस्ताव के एक कमजोर स्वरूप को ही अपनाया जा सका। एक महीने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की अध्यक्षता कर रहे जर्मनी ने युद्ध और हिंसाग्रस्त इलाकों में महिलाओं के साथ होने वाली यौन हिंसा को लेकर बड़ी बहस छेड़ी है।

हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के प्रशासन को युद्धकाल में होने वाली यौन हिंसा से जुड़ी कुछ बातों और प्रस्ताव की भाषा पर आपत्ति थी। इसके चलते प्रस्ताव से कुछ अहम बातों को हटाना पड़ा। अमेरिका ने उसे ना हटाने पर प्रस्ताव के खिलाफ यूएन सुरक्षा परिषद में अपना वीटो लगाने की बात कही थी।

परिषद ने इस प्रस्ताव में विवादग्रस्त इलाकों में घटी यौन हिंसा के बारे में कदम उठाने और इसे रोकने की दिशा में हो रही बहुत धीमी प्रगति” पर चिंता जताई है। परिषद ने माना कि कई मामलों में ऐसे कृत्य करने वालों को कभी सजा नहीं मिलती और कुछ जगह हालात ऐसे बन जाते हैं कि यह क्रूरता के भयंकर स्तर तक पहुंच जाता है।

प्रस्ताव में सरकारों से आह्वान किया गया है कि वे यौन हिंसा से बच कर निकले लोगों को बिना किसी भेदभाव के और उनकी जरूरत के हिसाब से देखभाल मुहैया करवाएं।

यह भी कहा गया है कि पीड़ितों की पहुंच “राष्ट्रीय राहत और क्षतिपूर्ति कार्यक्रमों तक हो और उनकी शारीरिक, मानसिक और मनोवैज्ञानिक सेहत सुधारने के साथ-साथ, रहने के लिए सुरक्षित आश्रय, जीविका के साधन और कानूनी मदद भी दी जाए।

जर्मनी ने जो प्रस्ताव तैयार किया था, उसमें इन सब बातों के अलावा यौन हिंसा की शिकार बने लोगों को यूएन संस्थाओं के माध्यम से समय रहते “यौन और प्रजनन स्वास्थ्य” से जुड़ी मदद मुहैया कराने की बात थी। ट्रंप प्रशासन इस प्रस्ताव को गर्भपात को समर्थन देने के तौर पर देखता है और इसके खिलाफ है।

प्रस्ताव पर सभा में काफी बहस हुई और वोटिंग के बाद 15-सदस्यीय यूएनएससी को संबोधित करते हुए फ्रांस के राजदूत फ्रांसुआ डेलात्रे ने कहा, “यह बात ना तो समझ में आने और ना ही बर्दाश्त करने लायक है कि सुरक्षा परिषद को ऐसा मानने में दिक्कत आ रही है।

हिंसाग्रस्त इलाकों की महिलाओं को यौन हिंसा और रेप झेलना पड़े तो वे उस गर्भ को नहीं रखना चाहेंगी और उन्हें इसे खत्म करने का अधिकार होना चाहिए।