बांग्लादेश का मानव तस्करी नेटवर्क मध्य पूर्व और भारत तक फैला

   

ढाका, 30 मई । ढाका के 26 वर्षीय टिकटॉक हृदॉय के नेतृत्व में चलाया जा रहा एक मानव तस्करी नेटवर्क मध्य पूर्व, भारत और बांग्लादेश में सक्रिय है।

तेजगांव डिवीजन के पुलिस उपायुक्त मोहम्मद शाहिदुल्ला ने शनिवार को यहां एक मीडिया ब्रीफिंग में इस बात का खुलासा किया। उनका कहना है कि इस गैंग के सम्पर्क भारत के कुछ होटलों तक है, जहां लड़कियों की तस्करी की जाती है।

शाहिदुल्ला ने आईएएनएस को बताया, हृदॉय का एक गिरोह है, जिसमें बांग्लादेश के दक्षिणपूर्वी जिलों के कुछ लोग और भारतीय राज्यों के कुछ अन्य लोग शामिल हैं।

हाल ही में, भारत के बेंगलुरु में एक बांग्लादेशी लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म और क्रूर यातना में उसकी कथित संलिप्तता का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद हृदॉय चर्चा में था।

असम पुलिस ने आरोपी का पता लगाने के लिए सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो की क्लिप साझा की थी, जिसके बाद बेंगलुरु शहर की पुलिस ने मामले के सिलसिले में चार पुरुषों और दो महिलाओं को गिरफ्तार किया।

बांग्लादेश पुलिस ने बाद में ढाका के माघबाजार के हृदॉय की पहचान अपराध के सरगनाओं में से एक के रूप में की।

दुष्कर्म पीड़िता के पिता ने बाद में गुरुवार रात ह्यूमन ट्रैफिकिंग एंड पोर्नोग्राफी एक्ट के तहत हातीरझील थाने में मामला दर्ज कराया।

पीड़िता की मां ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि उनकी बेटी की तस्करी दूसरे देश में की गई है।

उसने पुलिस से अपील की, मेरी बेटी को तुरंत वापस लाओ। मैं सोच भी नहीं सकती कि वह इतनी दूर किसी दूसरे देश में होगी।

तीसरी कक्षा तक पढ़ने वाली पीड़िता ने सात साल पहले चांदपुर के एक व्यक्ति से शादी की थी। दंपति अपनी तीन साल की बेटी के साथ मोघबाजार में रहता था। उसका पति एक प्रवासी श्रमिक है जो तीन साल पहले कुवैत गया था और महिला नियमित रूप से अपने माता-पिता से मिलने जाती थी।

पीड़िता के पिता ने कहा, एक साल से थोड़ा अधिक समय पहले, वह मोघबाजार में अपने पति के दोस्त हृदॉय से मिली और मुझसे कहा कि वह उसके पति के साथ विदेश में काम खोजने में उसकी मदद करेगा। मैंने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन वह वैसे भी चली गई।

उन्होंने आरोप लगाया कि हो सकता है कि उनकी बेटी को भारत जाने के लिए मजबूर किया गया हो। कोविड -19 के प्रकोप के बाद बीमार पड़ने के कारण वह उसके संपर्क में नहीं रह सका।

भारत में इस घटना के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए सभी पांच बांग्लादेशी अवैध रूप से वहां गए थे, और उनमें से किसी के पास पासपोर्ट या वीजा नहीं था।

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