बाबरी मस्जिद- राम जन्मभूमि विवाद: सुप्रीम कोर्ट में कल से लगातार होगी सुनवाई!

   

अयोध्या मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ में 10 जनवरी शुरू होगी। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी। पांच जजों की इस पीठ की अध्यक्षता चीफ जस्टिस रंजन गोगोई करेंगे।

10 जनवरी सुबह 10 बजे से इस केस की सुनवाई शुरू होगी। चीफ जस्टिस के अलावा इस पीठ में जस्टिस एस.ए बोबडे, जस्टिस एन.वी रमन्ना, जस्टिस यू.यू ललित और जस्टिस डी. वाई चंद्रचूड़ होंगे।

शीर्ष अदालत की तीन सदस्यीय पीठ ने गत वर्ष 27 सितंबर को 2 :1 के बहुमत से मामले को शीर्ष अदालत के 1994 के एक फैसले में की गई उस टिप्पणी को पुनर्विचार के लिये पांच सदस्यीय संविधान पीठ के पास भेजने से मना कर दिया था जिसमें कहा गया था कि मस्जिद इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है। मामला अयोध्या भूमि विवाद मामले पर सुनवाई के दौरान उठा था।

जब मामला चार जनवरी को सुनवाई के लिये आया था तो इस बात का कोई संकेत नहीं था कि भूमि विवाद मामले को संविधान पीठ को भेजा जाएगा क्योंकि शीर्ष अदालत ने बस इतना कहा था कि इस मामले में गठित होने वाली उचित पीठ 10 जनवरी को अगला आदेश देगी।

शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड नोटिस में यह जानकारी देते हुये कहा गया है कि अयोध्या भूमि विवाद में याचिकाएं 10 जनवरी, 2019 को सुबह साढ़े दस बजे प्रधान न्यायाधीश के न्यायालय में संविधान पीठ के समक्ष सूचीबद्ध होंगी।

अयोध्या में राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद से संबंधित 2.77 एकड़ भूमि के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 30 सितंबर, 2010 के 2:1 के बहुमत के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में 14 अपीलें दायर की गयी हैं।

उच्च न्यायालय ने इस फैसले में विवादित भूमि सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान के बीच बराबर बराबर बांटने का आदेश दिया था।

इस फैसले के खिलाफ अपील दायर होने पर शीर्ष अदालत ने मई 2011 में उच्च न्यायालय के निर्णय पर रोक लगाने के साथ ही विवादित स्थल पर यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया था।

शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड नोटिस में यह जानकारी देते हुये कहा गया है कि अयोध्या भूमि विवाद में याचिकाएं 10 जनवरी, 2019 को सुबह साढ़े दस बजे प्रधान न्यायाधीश के न्यायालय में संविधान पीठ के समक्ष सूचीबद्ध होंगी।

अयोध्या में राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद से संबंधित 2.77 एकड़ भूमि के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 30 सितंबर, 2010 के 2:1 के बहुमत के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में 14 अपीलें दायर की गयी हैं।

उच्च न्यायालय ने इस फैसले में विवादित भूमि सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान के बीच बराबर बराबर बांटने का आदेश दिया था।

इस फैसले के खिलाफ अपील दायर होने पर शीर्ष अदालत ने मई 2011 में उच्च न्यायालय के निर्णय पर रोक लगाने के साथ ही विवादित स्थल पर यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया था।

साभार- ‘इंडिया टीवी न्यूज़ डॉट कॉम’