अयोध्या मामले में मध्यस्थता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला सुरक्षित रख लिया। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एस. ए. बोबड़े, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस डी. वाई. चन्द्रचूड़ और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की पांच सदस्यीय पीठ ने आज सुनवाई की।
ज़ी न्यूज़ के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट आज दोनों ही पक्षों से मामले के बातचीत के जरिए हल निकालने को लेकर मध्यस्थता पर सुनवाई की। हिंदू पक्षकारों में रामलला विराजमान और हिंदू महासभा ने मध्यस्थता से इनकार किया। वहीं एक और हिंदू पक्षकार निर्मोही अखाड़े ने कहा कि वह मध्यस्थता के लिए तैयार है. मुस्लिम पक्ष ने भी मध्यस्थता पर सहमति जताई।
Hearing begins in Supreme Court on Ayodhya Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute case. Court to decide on whether the case may be sent for court-monitored mediation to save time. pic.twitter.com/SHoTN7edL8
— ANI (@ANI) March 6, 2019
सुनवाई के दौरान सबसे पहले एक हिन्दू पक्ष के वकील ने कहा कि अयोध्या केस को मध्यस्थता के लिए भेजने से पहले पब्लिक नोटिस जारी किया जाना चाहिए।
#AyodhyaHearing | Hindu Mahasabha’s argument: Hindus are not ready for any mediation.. it’s a deity property and nobody has the right to mediate. For us it’s a sentimental issue. We are waiting for the outcome of result since 1950
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— Hindustan Times (@htTweets) March 6, 2019
हिंदू पक्षकार की दलील थी अयोध्या मामला धार्मिक और आस्था से जुड़ा मामला है, यह केवल सम्पत्ति विवाद नहीं है. इसलिए मध्यस्थता का सवाल ही नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम हैरान हैं कि विकल्प आज़माए बिना मध्यस्थता को खारिज क्यों किया जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि अतीत पर हमारा नियंत्रण नहीं है लेकिन हम बेहतर भविष्य की कोशिश जरूर कर सकते हैं।
Supreme Court reserved its order on the issue of referring Ram Janmabhoomi-Babri Masjid title dispute case to court-appointed and monitored mediation for a “permanent solution”
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— ANI Digital (@ani_digital) March 6, 2019
सुप्रीम कोर्ट ने कहा जब वैवाहिक विवाद में कोर्ट मध्यस्थता के लिए कहता है तो किसी नतीजे की नहीं सोचता। बस विकल्प आज़माना चाहता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘हम ये नहीं सोच रहे कि किसी पक्ष को किसी चीज का त्याग करना पड़ेगा। हम जानते हैं कि ये आस्था का मसला है। हम इसके असर के बारे में जानते हैं।
मुस्लिम पक्षकार की ओर से पेश राजीव धवन ने कहा मध्यस्थता के लिए तैयार है। मध्यस्थता के लिए सबकी सहमति जरूरी नहीं। इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा ये विवाद दो समुदाय का है सबको इसके लिए राज़ी करना आसान काम नहीं।