बाबरी मस्जिद राम जन्मभूमि विवाद: मुस्लिम पक्षकार ने मध्यस्थता पर सहमती जताई!

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अयोध्या मामले में मध्यस्थता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला सुरक्षित रख लिया। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एस. ए. बोबड़े, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस डी. वाई. चन्द्रचूड़ और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की पांच सदस्यीय पीठ ने आज सुनवाई की।

ज़ी न्यूज़ के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट आज दोनों ही पक्षों से मामले के बातचीत के जरिए हल निकालने को लेकर मध्यस्थता पर सुनवाई की। हिंदू पक्षकारों में रामलला विराजमान और हिंदू महासभा ने मध्यस्थता से इनकार किया। वहीं एक और हिंदू पक्षकार निर्मोही अखाड़े ने कहा कि वह मध्यस्थता के लिए तैयार है. मुस्लिम पक्ष ने भी मध्यस्थता पर सहमति जताई।

सुनवाई के दौरान सबसे पहले एक हिन्दू पक्ष के वकील ने कहा कि अयोध्या केस को मध्यस्थता के लिए भेजने से पहले पब्लिक नोटिस जारी किया जाना चाहिए।

हिंदू पक्षकार की दलील थी अयोध्या मामला धार्मिक और आस्था से जुड़ा मामला है, यह केवल सम्पत्ति विवाद नहीं है. इसलिए मध्यस्थता का सवाल ही नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम हैरान हैं कि विकल्प आज़माए बिना मध्यस्थता को खारिज क्यों किया जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि अतीत पर हमारा नियंत्रण नहीं है लेकिन हम बेहतर भविष्य की कोशिश जरूर कर सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा जब वैवाहिक विवाद में कोर्ट मध्यस्थता के लिए कहता है तो किसी नतीजे की नहीं सोचता। बस विकल्प आज़माना चाहता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘हम ये नहीं सोच रहे कि किसी पक्ष को किसी चीज का त्याग करना पड़ेगा। हम जानते हैं कि ये आस्था का मसला है। हम इसके असर के बारे में जानते हैं।

मुस्लिम पक्षकार की ओर से पेश राजीव धवन ने कहा मध्यस्थता के लिए तैयार है। मध्यस्थता के लिए सबकी सहमति जरूरी नहीं। इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा ये विवाद दो समुदाय का है सबको इसके लिए राज़ी करना आसान काम नहीं।