बिहार: बीजेपी ने उच्च जातियों को टिकट दिया वहीं जेडीयू ने पिछड़े और अति पिछड़े को!

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बिहार में सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के दो प्रमुख दलों भाजपा और जद(यू) ने इस बार लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों को टिकट देने में नई सोशल इंजीनियरिंग का इस्तेमाल किया है।

बिहार में जाति समीकरण को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने जहां ज्यादा उच्च जाति के उम्मीदवारों को टिकट दिया है वहीं जद(यू) ने पिछड़े और अति पिछड़े से ज्यादा उम्मीदवार खड़े किए हैं।

राजग का यह सोशल इंजीनियरिंग इस बार चुनाव में प्रदेश की सभी 40 सीटों पर महागठबंधन के खिलाफ कितना सफल होता है यह परिणाम ही बताएगा।

महागठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) शामिल हैं।

इंडिया टीवी न्यूज़ डॉट कॉम के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पारंपरिक वोट बैंक के मद्देनजर ऊंची जाति के 11 उम्मीदवारों को खड़ा किया है।

इन 11 में पांच राजपूत, दो ब्राह्मण, दो वैश्य, एक भूमिहार और एक कायस्थ समुदाय से हैं। पार्टी ने अन्य पिछड़ा वर्ग से तीन और अति पिछड़ा वर्ग से दो और जनजाति वर्ग से एक उम्मीदवार उतारे हैं।

उधर जनता दल (युनाइटेड) ने ज्यादातर अन्य पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग से उम्मीदवार उतारे हैं। राज्य में इनकी आबादी करीब 50 फीसदी है।

इसी तरह जनजाति की आबादी 15.7 फीसदी है। इसके अलावा मुस्लिम उम्मीदवार भी उतारे हैं। बिहार में मुस्लिम और यादव की आबादी करीब 32 फीसदी है। ऐसा माना जाता है कि इनकी सहानुभूति लालू प्रसाद के राष्ट्रीय जनता दल से है।

राजग की सूची पर गौर करें तो कुल ऊंची जाति से 13 उम्मीदवार, अन्य पिछड़ा वर्ग से नौ, अति पिछड़ा वर्ग से आठ, जनजाति वर्ग से तीन उम्मीदवार मैदान में हैं।

जद(यू) ने एक मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राजग ने महागठबंधन के जातीय समीकरण की काट के लिए समाज के सभी वर्ग के लोगों को टिकट दिया है।