बीएसएनएल कर्मचारी हड़ताल पर, कहा- निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाना चाहती है मोदी सरकार

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नई दिल्ली: बीएसएनएल की एक कर्मचारी यूनियन ने आरोप लगाया है कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी की समस्याओं को सुलझाने के लिए ईमानदारी से प्रयास नहीं कर रही है और वह निजी क्षेत्र की प्रतिद्वंद्वी कंपनी को फायदा पहुंचाना चाहती है.

यूनियन ने यह आरोप तब लगाया है जबकि कंपनी के कर्मचारी अपनी मांगों के समर्थन में तीन दिन की हड़ताल पर चले गए हैं.

यूनियन के इस आरोप से एक दिन पहले दूरसंचार विभाग ने घोषणा की है कि वह बीएसएनएल प्रबंधन और यूनियनों तथा संघों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करेगी ताकि उनकी जायज मांगों पर विचार किया जा सके.

देशभर में बीएसएनएल के कर्मचारी बीते 19 फरवरी से हड़ताल पर चले गए. कर्मचारियों की मांग है कि कंपनी को 4जी सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम का आवंटन किया जाए, बीएसएनएल के लिए भूमि प्रबंधन नीति को मंजूरी दी जाए, वेतन संशोधन समिति का क्रियान्यवन और पेंशन अंशदान का समायोजन किया जाए.

ऑल इंडिया यूनियंस एंड एसोसिएशंस ऑफ भारत संचार निगम लिमिटेड (एयूएबी) के संयोजक पी. अभिमन्यु ने कहा, ‘सरकार ने रविवार को बोगस बयान जारी किया कि वह बीएसएनएल कर्मचारियों के साथ बातचीत करेगी. हमारी मुख्य मांग 15 प्रतिशत फिटमेंट के साथ वेतन संशोधन की है. हम बीएसएनएल की वित्तीय स्थिति के बारे में समझते हैं और हमने दूरसंचार विभाग से कहा कि हम 15 प्रतिशत के बजाय पांच प्रतिशत फिटमेंट को भी स्वीकार करेंगे. इसके बावजूद उनके बयान में यह बात नहीं है.’

एयूएबी ने दावा किया कि देशभर में बीएसएनएल के 98 प्रतिशत कर्मचारी हड़ताल पर रहे. वहीं बीएसएनएल के एक अधिकारी ने कहा कि 60 से 70 प्रतिशत कर्मचारी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए. अधिकारी ने दावा किया कि कंपनी के कॉरपोरेट मुख्यालय में 90 प्रतिशत कर्मचारी उपस्थित थे.

साभार- वायर हिंदी