बीजेपी ने वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी की गांधीनगर सीट से अमित शाह को उतारकर एक तीर से दो शिकार करने वाला फैसला लिया है। इस सीट पर आडवाणी बीते तीन दशक से प्रतिनिधित्व करते रहे हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक अमित शाह को गांधीनगर भेजकर बीजेपी ने लालकृष्ण आडवाणी की सीट पर उन्हें हटाकर कोई कमजोर व्यक्ति देने की बजाय अपने अध्यक्ष को भेजा है। हालांकि आडवाणी का मन चुनाव में उतरने का था, लेकिन बीजेपी ने काफी मशक्कत के बाद उन्हें हटने के लिए राजी किया।
इससे गांधीनगर सीट पर बड़े नेता के प्रतिनिधित्व करने का इतिहास बना रहेगा। इसके अलावा गुजरात में 2017 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के मजबूत प्रदर्शन को देखते हुए शाह की मौजूदगी पार्टी में ऊर्जा भरने का काम करेगी। गांधीनगर से शाह के उतरने पर पूरे गुजरात में एक माहौल बनाने का मौका मिलेगा।
गुजरात बीजेपी के एक नेता ने कहा, ‘2017 के चुनावों में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया था। पार्टी के नेताओं को अब लगने लग रहा था कि सूबे की सभी 26 लोकसभा सीटों को जीतना कठिन चुनौती होगा। लेकिन, अमित शाह के उतरने से कार्यकर्ता रिचार्ज होंगे और जीत की संभावनाओं में इजाफा होगा।’ गांधीनगर से जब आडवाणी को रिप्लेस करने की बात आई तो गुजरात की बीजेपी यूनिट ने अमित शाह के नाम का प्रस्ताव दिया था। अपने शुरुआती दिनों में अमित शाह इस सीट पर प्रबंधन का काम देख चुके हैं।
बड़ी मशक्कत के बाद माने थे आडवाणी
सूत्रों के मुताबिक आडवाणी को इस सीट से न उतरने के लिए मनाने के लिए भी पार्टी को मशक्कत करनी पड़ी। संगठन महामंत्री रामलाल और सीनियर बीजेपी लीडर मुरली मनोहर जोशी ने 91 वर्षीय आडवाणी से मिलकर उन्हें चुनाव मैदान से हटने के लिए मनाने का काम सौंपा गया था।
आडवाणी के अलावा ये दिग्गज भी रहेंगे बाहर?
बीजेपी ने आडवाणी के अलावा कई अन्य सीनियर नेताओं को भी चुनाव मैदान से बाहर करने का फैसला लिया है। इनमें शांता कुमार, भगत सिंह कोश्यारी और मुरली मनोहर जोशी जैसे नेता शामिल हैं। अभी मुरली मनोहर जोशी की कानपुर सीट से कैंडिडेट का ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन कहा जा रहा है कि वह उम्मीदवारी से हटने पर सहमति जता चुके हैं।
(साभार: नवभारत टाइम्स)