बीती एक सदी में कम्युनिज्म और सोशलिज्म के चलते मारे गए 10 करोड़ लोग

   

न्यू यॉर्क : अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र आमसभा को संबोधित करते हुए कहा कि भविष्य वैश्वीकरण का नहीं बल्कि संप्रभु राष्ट्रों का है। चीन के साथ व्यापारिक असंतुलन पर निशाना साधते हुए कहा कि 2001 में चीन विश्व व्यापार संगठन से जुड़ा था और तब उन्होंने उदारीकरण की बात की थी, लेकिन बीते दो दशकों में इसका उल्टा हुआ। इसके अलावा उन्होंने कम्युनिस्ट विचारधारा पर भी तीखा हमला बोला और कहा कि इसके चलते 10 करोड़ लोग मारे गए। वेनेजुएला में आर्थिक संकट का जिक्र करते हुए ट्रंप ने कहा कि वहां महिलाओं को भोजन तक के लिए घंटों लाइनों में खड़ा रहना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि वेनेजुएला के हालात हमें बताते हैं कि सोशलिज्म और कम्युनिज्म से गरीबी खत्म नहीं की जा सकती है और यह सिर्फ एक वर्ग के लिए सत्ता का जरिया है। अमेरिका कभी सोशलिस्ट देश नहीं होगा। उन्होंने कहा कि बीती एक सदी में सोशलिज्म और कम्युनिज्म के चलते 10 करोड़ लोग मारे गए हैं।

डॉनल्ड ट्रंप ने कारोबार में असंतुलन को लेकर चीन पर तीखा हमला बोला। ट्रंप ने कहा कि बीते एक दशक में कुछ देशों ने ग्लोबलाइजेशन का बुरी तरह लाभ उठाया है। आउटसोर्सिंग के चलते मिडल क्लास को समस्याएं उठानी पड़ी हैं। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में आउटसोर्सिंग के चलते लाखों लोगों को अमेरिका में नौकरियां गंवानी पड़ी हैं। उन्होंने कहा, ‘2001 में चीन WTO में शामिल हुआ था। चीन ने तब उदारीकरण की बात कही थी, लेकिन दो दशक बाद यह बात गलत साबित हुई है।’ इसके अलावा उन्होंने अमेरिकी कंपनी माइक्रॉन टेक्नॉलजी को चीन में बैन किए जाने का भी मुद्दा उठाया। चीन के चलते अमेरिका में 60,000 कंपनियां बंद हुईं।

इसके साथ ही उन्होंने ईरान पर भी हमला बोलते हुए कहा कि वह दुनिया में आतंकवाद का सबसे बड़ा पोषक है। ईरान को खून का प्यासा बताते हुए ट्रंप ने कहा कि हम ईरान के परमाणु हथियारों के अभियान को आगे नहीं बढ़ने देंगे। हमने ईरान पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। सऊदी अरब की तेल कंपनी पर हाल ही में हुए हमले के बाद हमने प्रतिबंधों को बढ़ा दिया है। इसके साथ ही उन्होंने उत्तर कोरिया को भी परमाणु हथियार छोड़ने की ताकीद की।

ट्रंप ने ग्लोबलाइजेशन को बीते दौर की बात बताते हुए कहा कि भविष्य वैश्वीकरण का नहीं बल्कि संप्रभु राष्ट्रों का होगा। उन्होंने कहा, ‘यदि आप आजादी चाहते हैं तो अपने देश पर गर्व करें। लोकतंत्र चाहते हैं तो संप्रभुता बनाए रखें। शांति चाहते हैं तो अपने देश से प्यार करें।’