ब्रिटेन के मंत्रिमंडल में तीन भारतीयों का होना अभूतपूर्व, प्रीति पटेल की गिनती मोदी के पक्ष में बोलने वाले राजनेताओं में

   

नई दिल्ली : ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने अपनी जो मंत्रिमंडलीय टीम घोषित की है, उसमें तीन भारतीयों का होना अभूतपूर्व है। इससे भी बड़ी बात यह कि इन तीनों नेताओं- प्रीति पटेल, आलोक शर्मा और ऋषि सुनक को बेहद अहम भूमिकाएं सौंपी गई हैं। प्रीति पटेल बतौर गृह मंत्री देश की आंतरिक सुरक्षा का जिम्मा संभालेंगी। आलोक शर्मा अंतरराष्ट्रीय विकास मंत्री होंगे और ऋषि सुनक ट्रेजरी के चीफ सेक्रेट्री होंगे, जो ब्रिटेन में वित्त राज्य मंत्री जैसा पद है। वित्त मंत्री का पद पाकिस्तानी मूल के साजिद जावेद के जिम्मे है। जिन तीनों मंत्रियों की हम बात कर रहे हैं, उनका भारत से केवल भावनात्मक रिश्ता नहीं है। ये सीधे तौर पर भारत से जुड़े रहे हैं और अपने इस जुड़ाव को रेखांकित भी करते रहे हैं।

प्रीति पटेल की गिनती भारत से बाहर खुलकर प्रधानमंत्री मोदी के पक्ष में बोलने वाले राजनेताओं में होती रही है। आलोक शर्मा भारत में ही जन्मे हैं। जबकि ऋषि सुनक इनफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति के दामाद हैं। ब्रिटेन की सरकार में अहम भूमिका में आए ये भारतीय दुनियाभर में प्रवासी भारतीयों के बढ़ते प्रभाव का प्रतीक बनकर उभरे हैं। बेशक ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी देश की सरकार में एक साथ तीन भारतीयों को इतनी बड़ी भूमिकाएं मिल गई हों लेकिन विभिन्न देशों में भारतीय समुदाय की बढ़ती राजनीतिक हैसियत कुछ समय पहले से जाहिर हो रही है। अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के आम चुनावों में भारतीय समुदाय को प्रभावित करना सभी पार्टियों की प्राथमिकता में होता है।

कनाडा में भारतीय मूल के जगमीत सिंह मुख्य विपक्षी दल के नेता के रूप में संसद के निचले सदन में जाकर रेकॉर्ड बना चुके हैं। 2015 में वहां भारतीय सांसदों की संख्या 19 तक पहुंच गई थी। ये तथ्य इस बात की पुष्टि करते हैं कि जैसे-जैसे दुनिया में भारत का कद बढ़ रहा है, वैसे-वैसे विभिन्न देशों की राजनीति में भारतीयों का मुकाम भी ऊंचा हो रहा है। वहां वे जैसे-तैसे गुजारा करने वाले समुदाय के रूप में नहीं, आंतरिक नीतियों को प्रभावित करने वाली शक्ति के रूप में पहचाने जा रहे हैं। बहरहाल, बोरिस जॉनसन की टीम के मौजूदा स्वरूप के पीछे उनकी अलग तरह की चुनौतियों और इनसे जुड़ी जरूरतों का हाथ है। यूरोपियन यूनियन से नाता तोड़ने के बाद ब्रिटेन को सबसे ज्यादा उम्मीद पुराने ब्रिटिश साम्राज्य यानी राष्ट्रमंडल देशों से ही है। इस जुड़ाव को नया रूप देकर ब्रिटेन उस नुकसान की भरपाई करना चाहता है, जो ईयू से अलग होने के बाद उसके हिस्से आएगा। इस कठिन समय में ब्रिटेन को नेतृत्व देने और उसे इस भंवर से सुरक्षित निकाल ले जाने की जो बड़ी जिम्मेदारी भारतीय मूल के नेताओं के कंधों पर आई है, उसे अच्छे से निभाकर वे इस देश में भारतीयों की प्रतिष्ठा और बढ़ा सकते हैं।