भाजपा सांसद बोले- अरेबियन कल्चर से ओवैसी को प्यार, भारतीय संस्कृति को बदनाम करने की साजिश में वे भी शामिल’

   

नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ  के प्रमुख मोहन भागवत  के मॉब लिंचिंग पर दिए बयान पर सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है. अब ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन यानि AIMIM के चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin owaisi)ने उन्हें घेरा है. आरएसएस प्रमुख के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ओवैसी ने कहा कि मुस्लिम, दलित और यहां तक कि हिंदू भी देश की भीड़तंत्र द्वारा रची गई घटनाओं के शिकार हुए हैं. क्या ये घटनाएं मॉब लिंचिंग नहीं हैं?

ओवैसी ने मॉब लिंचिंग शब्द को भारत को बदनाम करने की साजिश कहा
उन्होंने इस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद नई दिल्ली में हुए 1984 के सिख विरोधी दंगों का भी जिक्र किय. उन्होंने कहा कि तब भी मॉब लिंचिंग की घटनाएं हुई थीं. हैदराबाद के सांसद ओवैसी द्वारा मॉब लिंचिंग के अपराधियों को महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे से प्रेरित बताया. बता दें कि भागवत ने अपने बयान में कहा था कि लिंचिंग की उत्पत्ति पश्चिमी देशों में हुई है और इसका इस्तेमाल भारत को बदनाम करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.

‘अरब की संस्कृति से जुड़ना चाहते हैं ओवैसी’


ओवैसी के इस बयान पर बीजेपी के राज्यसभा से सांसद राकेश सिन्हा ने कहा कि ओवैसी अरब की संस्कृति से जुड़ना चाहते हैं जबकि भारत की संस्कृति से कटे रहना चाहते हैं. भारत की संस्कृति को बदनाम करने की साज़िश में ओवैसी भी शमिल हैं. उन्होंने कहा कि मोहन भागवत ने सामाजिक अंतर्विरोध यानि Social Conflict पर बहस छेड़ी है. लिंचिंग एक विदेशी शब्द है और भारत में उसका प्रयोग ग़लत है.

‘लिंचिंग’ शब्द भारत का नहीं- मोहन भागवत
गौरतलब है कि 8 अक्टूबर को आरएसएस की स्थापना दिवस पर नागपुर के रेशिमबाग मैदान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विजयादशमी समारोह को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा था कि लिंचिंग की उत्पत्ति पश्चिमी देशों में हुई है. इसे भारत पर नहीं थोपा जाना चाहिए. ये भारत को बदनाम करने की साजिश है. भारत छोड़ में इतनी विविधताओं के बाद भी लोग एक साथ शांति से रहते हैं. उन्होंने कहा था कि शब्द ‘लिंचिंग’ भारतीय लोकाचार से उत्पन्न नहीं हुआ है, बल्कि एक अलग धार्मिक पाठ से आता है.

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