भारतीय-अमेरिकी सिविल राइट वकील की एसोसिएट एजी के रूप में पुष्टि

   

न्यूयॉर्क, 22 अप्रैल । भारतीय-अमेरिकी सिविल राइट्स वकील वनिता गुप्ता कड़े विरोध के बावजूद रिपब्लिकन सीनेटर की मदद से अमेरिकी एसोसिएट अटॉर्नी-जनरल के रूप में चुनी गई हैं।

सीनेटर लिसा मुर्कोव्स्की ने बुधवार को 100 सदस्यों वाली सीनेट में उन्हें महत्वपूर्ण वोट दिया, जो समान रूप से रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टियों के बीच विभाजित है। यह पद न्याय विभाग में तीसरे सबसे ऊंचा पद है।

गुप्ता अमेरिकी नागरिक अधिकारों के मूवमेंट के लिए एक जाना-पहचाना नाम है। उन्होंने 38 अफ्रीकी अमेरिकी लोगों की रिहाई सुनश्चित की थी, जिन्हें गलत रूप से ड्रग के मामले में फंसाया गया था। साथ ही इनलोगों को 6 मिलियन डॉलर का मुआवजा भी दिलवाया था।

वह पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के प्रशासन के दौरान प्रिंसिपल डिप्टी एसोसिएट अटॉर्नी-जनरल और नागरिक अधिकार प्रभाग की प्रमुख थी।

गुप्ता के खिलाफ कंजर्वेटिव और दक्षिणपंथी समूहों ने इस पद पर नहीं चुने जाने के लिए एक कैंपेन चलाया और उनकी छवि रेडिकल के रूप में गढ़ने की कोशिश की।

लेकिन उसे अन्य रूढ़िवादी रिपब्लिकन और कानून प्रवर्तन समूहों का समर्थन भी मिला।

उपराष्ट्रपति कमला हैरिस सीनेट अध्यक्ष के रूप में टाई-वोट देने के लिए तैयार थीं, यदि वोट 50-50 विभाजित हुए होते।

डेमोक्रेटिक पार्टी के सीनेटर लीडर चक शूमर ने कहा, न केवल गुप्ता इसर रंग की पहली महिला हैं जिसे इस पद लिए नामांकित किया गया है, बल्कि वह इस पद पर नामित होने वाली पहली सिविल राइट अटॉनी हैं।

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