भारतीय दूतावासों को ठप करने की एसएफजे की योजना पर विदेश मंत्रालय सतर्क (एक्सक्लूसिव)

   

नई दिल्ली, 7 दिसंबर । प्रतिबंधित अलगाववादी संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) ने 10 दिसंबर को लंदन, न्यूयॉर्क और टोरंटो में स्थित भारतीय दूतावासों की कार्यप्रणाली ठप करने की योजना बनाई है। इसके बाद खुफिया एजेंसियों ने विदेश मंत्रालय (एमईए) को सतर्क कर दिया है।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन टड्रो, ब्रिटेन के सांसदों और संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रतिनिधि ने भारत में किसानों के विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया है। इस बीच परमजीत सिंह पम्मा, गुरमीत सिंह बग्गा, हरदीप सिंह निज्जर और गुरपतवंत सिंह पन्नू की खालिस्तान समर्थक चौकड़ी ने भारतीय वाणिज्य दूतावासों की कार्यप्रणाली ठप करने (शट डाउन) की घोषणा की है।

एजेंसियों को विभिन्न इंटरनेट साइटों के माध्यम से एसएफजे की घोषणा के बारे में जानकारी मिली, जहां समूह ने लंदन, बर्मिघम, फ्रैंकफर्ट, वैंकूवर, टोरंटो, वाशिंगटन डीसी, सैन फ्रांसिस्को और न्यूयॉर्क में 10 दिसंबर को भारतीय वाणिज्य दूतावासों को ठप करने से संबंधित एक मेल पोस्ट किया है।

एसएफजे के जनरल काउंसिल पन्नून ने विश्वास जताया है कि खालिस्तान ही पंजाब के किसानों की दुर्दशा का एकमात्र समाधान है। एसएफजे के अलगाववादी नेता ने कहा, हमने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार दिवस पर भारतीय वाणिज्य दूतावासों को बंद करने का आह्वान किया है, ताकि विश्व समुदाय के सामने सिखों के जनसंहार से लेकर किसानों के शोषण की भारत की 70 साल की नीति को उजागर किया जा सके।

कनाड़ा आधारित वांछित आतंकवादी निज्जर ने कहा, हम कनाडा के चार्टर की ओर से दिए गए हमारे अधिकारों का उपयोग करेंगे और वैंकूवर और टोरंटो में भारतीय वाणिज्य दूतावासों की घेराबंदी करेंगे। निज्जर कनाडा में पंजाब रेफरेंडम अभियान की अगुवाई भी कर रहा है।

ब्रिटेन स्थित पम्मा, जर्मनी स्थित बग्गा, कनाडा स्थित निज्जर और अमेरिका स्थित पन्नू सभी भारत में अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम देने का काम कर रहे हैं। इन्होंने अलगाववादी पंजाब इंडिपेंडेंस रेफरेंडम अभियान चला रखा है, जिसकी मदद से वह भारत में फूट डालने की कोशिश कर रहे हैं।

यह इनपुट ऐसे समय आया है, जब 26 नवंबर से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं।

एसएफजे इस समय पर आहत किसानों की भावनाओं के साथ खेलना चाहता है। हाल ही में एसएफजे ने किसानों को लुभाने के लिए एक ओर घोषणा की थी। अलगाववादी संगठन ने कहा था कि हरियाणा में पुलिस की कार्रवाई का सामना करते हुए जिन किसानों को चोट पहुंची है या उनके वाहन क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें संगठन 10 लाख डॉलर की सहायता देगा।

सूचना ने सुरक्षा एजेंसियों को चिंता में डाल दिया है। यही वजह है कि एहतियात के तौर पर विदेश मंत्रालय में संबंधित अधिकारियों को सतर्क कर दिया गया है।

अधिकारियों ने बताया कि एसएफजे के संदेश में 30 नवंबर को अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी में 24 घंटे के कॉल सेंटर खोलने की इसकी योजना का उल्लेख किया गया है, ताकि पंजाब और हरियाणा के किसानों के नुकसान की भरपाई के लिए और खालिस्तान रेफरेंडम के लिए ऑनलाइन आवेदन स्वीकार किए जा सकें।

अमेरिका में रह रहे एसएफजे के जनरल काउंसिल और ग्रुप के प्रमुख नेता गुरपतवंत सिंह पन्नून द्वारा जारी संदेश का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि एसएफजे 15 अगस्त, 2021 को लंदन से पंजाब की स्वतंत्रता के लिए खालिस्तान रेफरेंडम वोटिंग की शुरुआत कर रहा है। पन्नून को भारत सरकार ने आंतकी घोषित कर रखा है।

पंजाब और हरियाणा के किसानों को यह आश्वासन देते हुए कि एसएफजे उनके सभी नुकसानों की भरपाई करेगा, पन्नून ने कहा कि एक बार पंजाब के भारत से अलग हो जाने के बाद, किसानों का ऋण माफ कर दिया जाएगा और उन्हें मुफ्त बिजली दी जाएगी।

समूह ने धमकी दी है, अगर भारत सरकार ने सितंबर में लागू किए गए अपने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त नहीं किया तो वह इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उठाएगा।

पन्नून ने संदेश में कहा, अगर मोदी सरकार किसानों की मांग के अनुसार कृषि बिलों को नहीं निरस्त करती है, तो एसएफजे विभिन्न किसान संगठनों का समर्थन करते हुए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के खिलाफ कानूनी मुहिम शुरू करेगा।

एसएफजे पहले से ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की रडार पर है। सितंबर की शुरुआत में, एनआईए के इनपुट के आधार पर गृह मंत्रालय (एमएचए) ने पन्नून और एसएफजे के कनाडा को-ऑर्डिनेटर हरदीप सिंह निज्जर की संपत्तियों को कुर्क करने का आदेश जारी किया था।

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