भारत की शिक्षा नीति एक दूरदर्शी दस्तावेज : संयुक्त अरब अमीरात

   

नई दिल्ली, 9 दिसम्बर । भारत सरकार के केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और संयुक्त अरब अमीरात के शिक्षा मंत्री हुसैन बिन इब्राहिम अल हम्मादी के बीच एक अहम द्विपक्षीय वर्चुअल बैठक हुई। बुधवार शाम हुई इस बैठक में संयुक्त अरब अमीरात के शिक्षा मंत्री ने भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सराहना की।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के साथ हुई बैठक में संयुक्त अरब अमीरात के शिक्षा मंत्री हुसैन बिन इब्राहिम अल हम्मादी के अलावा सार्वजनिक शिक्षा राज्य मंत्री जमीला अलमुहिरी और भारत में संयुक्त अरब अमीरात के राजदूत डॉ. अहमद अब्दुल रहमान अलबाना भी मौजूद रहे।

हुसैन बिन इब्राहिम अल हम्मादी भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति को दूरदर्शी दस्तावेज बताते हुए कहा, यह छात्रों के समग्र विकास पर जोर देते हैं। शिक्षा क्षेत्र में आपसी सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की क्षमता है। दोनों देशों को शिक्षा के क्षेत्र में दीर्घकालिक सहयोग बढ़ाने के लिए काम करना चाहिए।

इस दौरान केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल कहा, भारत और यूएई बहुत ही मजबूत और गहरे द्विपक्षीय संबंध साझा करते हैं। दोनों पक्ष शैक्षिक सहयोग और सहभागिता को मजबूत करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। विभिन्न स्तरों पर सक्रिय, संवादात्मक और दीर्घकालिक सहयोग को बढ़ाकर शिक्षा के क्षेत्र में दोनों देशों के संबंधों को और गहरा करने का उद्देश्य है।

केंद्रीय मंत्री ने अध्ययन कार्यक्रम के तहत यूएई के छात्रों को भारत में आमंत्रित किया। भारत में जीआईएएन कार्यक्रम के तहत भारतीय विश्वविद्यालयों में अल्पकालिक पाठ्यक्रम में भाग लेने के लिए अधिक संख्या में शिक्षा संकायों को भी आमंत्रित किया।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर प्रकाश डालते हुए, निशंक ने कहा कि यह नीति बहुत आगे की सोच रखने वाली नीति है जो देश के संपूर्ण शिक्षा परिदृश्य को बदल देगी।

निशंक ने कहा, शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण पर बहुत ध्यान दिया जा रहा है। अंतर्राष्ट्रीयकरण को गति देने के लिए, योजना बनाई जा रही है। जैसे विदेशी छात्रों की मेजबानी करने वाले प्रत्येक उच्च शिक्षा संस्थान में विदेशी छात्र कार्यालय होना, गुणवत्ता वाली आवासीय सुविधाएं, शिक्षा की समग्र गुणवत्ता में सुधार, भारतीय प्रणालियों को अंतर्राष्ट्रीय पाठ्यक्रम के लिए संरेखित करना, जो कि नियमन किए जा रहे हैं। भारतीय और विदेशी संस्थानों के बीच संयुक्त डिग्री व्यवस्था और दोहरी डिग्री की अनुमति देना आदि।

उन्होंने यह भी कहा कि सभी पाठ्यक्रमों के विवरण के साथ भारतीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए एक पोर्टल पर भी विचार किया जा रहा है।

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