बयान में कहा गया, ”तीर्थयात्रियों को करतारपुर गलियारे का उपयोग करते हुए गुरुद्वारा करतारपुर साहिब जाने की सुविधा मुहैया कराने की परियोजना के तौर-तरीकों और मसौदा समझौते पर चर्चा के लिए पहली बैठक आज अटारी, भारत में सौहार्दपूर्ण वातावरण में आयोजित की गई. जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सुरक्षा बलों पर आतंकी हमला होने, इसके बाद आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के बालाकोट स्थित शिविरों पर भारत की ओर से हवाई हमला किए जाने और फिर पाकिस्तान की ओर से कार्रवाई करने के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बहुत बढ़ जाने के बीच हुई.

बयान के मुताबिक, दो अप्रैल को अगली बैठक वाघा में आयोजित करने पर सहमति बनी और इससे पहले 19 मार्च को प्रस्तावित जीरो प्वाइंट पर तकनीकी विशेषज्ञों की बैठक होगी, जिसमें गलियारे के एलाइनमेंट को अंतिम रूप दिया जाएगा.

पिछले साल नवंबर में भारत और पाकिस्तान ऐतिहासिक गुरुद्वारा दरबार साहिब को गुरदासपुर स्थित डेरा बाबा नानक से जोड़ने के लिए करतारपुर गलियारे का निर्माण करने पर सहमत हुए थे. गुरुद्वारा दरबार साहिब में सिख पंथ के संस्थापक गुरु नानकदेव ने अपना अंतिम समय व्यतीत किया था. करतारपुर साहिब पाकिस्तान में पंजाब के नरोवाल जिले में है. रावी नदी के दूसरी ओर स्थित करतारपुर साहिब की डेरा बाबा नानक गुरुद्वारे से दूरी करीब चार किमी है.

बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव एससीएल दास ने किया, जबकि पाकिस्तानी टीम की अगुवाई पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के डीजी (दक्षिण एशिया और दक्षेस) डॉ. मोहम्मद फैसल ने की.

बयान में कहा गया, दोनों पक्षों ने विभिन्न पहलुओं और प्रस्तावित समझौते के विभिन्न प्रावधानों पर विस्तृत और रचनात्मक बातचीत की और करतारपुर साहिब गलियारे को तेजी से चालू करने की दिशा में काम करने पर सहमति जताई. बयान में यह भी कहा गया कि दोनों पक्षों ने प्रस्तावित गलियारे के एलाइनमेंट और अन्य विवरणों पर तकनीकी विशेषज्ञों के बीच विशेषज्ञ स्तर की वार्ता भी की