भारत में COVID-19 का कभी भी बदल सकता है स्‍वरूप

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कोरोना वायरस के कम्युनिटी ट्रांसमिशन के फेज में पहुंचने से रोकने और ऐसी नौबत आने पर बड़ी संख्या में मरीजों के इलाज के इंतजाम में जुटे भारत के लिए राहत की बात यह है कि यहां कोरोना के अपेक्षाकृत माइल्ड वायरस का प्रकोप हुआ है। यही कारण है कि भारत में अभी तक 321 कोरोना वायरस के मरीजों में एक की भी स्थिति गंभीर नहीं है, लेकिन वायरस लगातार अपना रूप बदलता है और वह कभी भी अपना चरम रूप अख्तियार कर सकता है। जाहिर है आइसीएमआर कोरोना वायरस के स्वरूप पर लगातार नजर रखे हुए है।

माइल्ड श्रेणी के मरीजों में सामान्य बुखार और जुकाम के लक्षण

आइसीएमआर के डाक्टर रमन गंगाखेड़कर के अनुसार अभी तक देश के भीतर जिन कोरोना से पीड़ि‍त मरीजों के वायरस की जांच की गई है, वे अपेक्षाकृत माइल्ड श्रेणी के हैं। इसी कारण इन मरीजों में सामान्य बुखार और जुकाम के लक्षण ही देखने को मिले हैं। जाहिर है माइल्ड कोरोना वायरस से उतना खतरनाक नहीं होता है और बुखार व बदन-दर्द और सूखी खांसी जैसे सामान्य लक्षणों के इलाज से ही समय के साथ ठीक हो जाता है। दुनिया में 80 फीसदी से मरीज कोरोना के माइल्ड वायरस से ग्रसित हैं। यही कारण है इसका मृत्युदर कम है।

सिवियर और एक्सट्रीम स्वरूप के सामने आने की आशंका से इनकार नहीं

लेकिन गंगाखेड़कर ने यह भी आगाह किया कि वायरस कभी भी अपना रूप बदल सकता है और भारत में भी इसके सिवियर और एक्सट्रीम स्वरूप के सामने आने की आशंका से इनकार नहीं कर सकता है। सिवियर और एक्सट्रीम सिवियर कोरोना वायरस से ग्रसित होने की स्थिति में व्यक्ति के लिए सांस लेना मुश्किल हो जाता है और उसे वेंटिलेशन पर रखना जरूरी हो जाता है। यही कारण है कि सरकार अस्पतालों के लिए बड़े पैमाने पर वेंटिलेटर का इंतजाम कर रही है, ताकि ऐसे मरीजों को भी इलाज मुहैया कराया जा सके।

कोरोना वायरस के मरीजों पर आजमाई जा रही दवाएं

चूंकि कोरोना वायरस के लिए कोई दवा नहीं है, ऐसे में इन मरीजों के बचाना मुश्किल हो जाता है। सिवियर और एक्सट्रीम सिवियर कोरोना वायरस से ग्रसित मरीजों पर कई दवाओं का प्रयोग किया गया। जिनमें एड्स, स्वाइन फ्लू, मलेरिया और जापानी बुखार की दवाइयां शामिल हैं। जयपुर में डाक्टरों ने तीन मरीजों को एड्स, स्वाइन फ्लू और मलेरिया की तीनों दवाइयों को आजमाया और तीनों मरीज कोरोना से ठीक भी हुए। यह जानना जरूरी है कि जयपुर के इन तीनों मरीज सिवियर या एक्सट्रीम सिवियर कोरोना वायरस पीड़ित नहीं थे, बल्कि दूसरी अन्य बीमारियों के कारण उनकी स्थिति गंभीर हो गई थी।