भारत सरकार की ओर से कू को बढ़ावा देने पर व्हाट्सएप के सीईओ चिंतित

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नई दिल्ली, 10 मार्च । व्हाट्सएप के प्रमुख विल कैथार्ट न केवल केंद्र सरकार के एन्क्रिप्शन को तोड़ने के उद्देश्य को लेकर, बल्कि स्वदेशी माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म कू को बढ़ावा देने को लेकर चिंतित हैं।

बिग टेक्नोलॉजी पॉडकास्ट के होस्ट एलेक्स कांट्रोविट्ज से बात करते हुए, कैथार्ट ने कहा कि जहां वैश्विक इंटरनेट होने की गैरमौजूदगी में आपके पास अपने स्वयं के नियमों वाले देश हैं, तो इसमें एक गहरा जोखिम है और यह बुरा होगा, अगर सरकारें अपने स्वयं के मिनी-एप के साथ अपने स्वयं के मिनी-इंटरनेट का निर्णय लें।

हाल के दिनों में भारत सरकार की ट्विटर के साथ तनातनी देखने को मिली है। सरकार ने गलत सूचनाओं और संदिग्ध अकाउंट्स को हटाने के लिए ट्विटर को निर्देश दिए थे और इसी समय से ही इनके बीच तकरार पैदा हुई, जिसके बाद स्वदेशी एप कू को काफी बढ़ावा मिला है। ट्विटर के साथ मतभेद के बाद सरकार ने भी स्वदेशी एप को बढ़ावा देने पर जोर दिया है और इसी दिशा में कई केंद्रीय मंत्रियों के अलावा बड़ी हस्तियों ने कू प्लेटफॉर्म को अपनाया है।

भारत सरकार कू को आगे बढ़ा रही है, जो एक ट्विटर प्रतियोगी है। इससे जुड़े एक सवाल पर कैथार्ट ने कहा, मुझे लगता है कि हमें इसके बारे में चिंतित होना चाहिए। मेरा मतलब है, यकीनन हमारे पास पहले से ही मेनलैंड चीन और बाकी दुनिया के साथ एक स्प्लिन्टरनेट है।

व्हाट्सएप के सीईओ ने पिछले सप्ताह पॉडकास्ट के दौरान होस्ट से कहा था, मुझे लगता है कि इस संबंध में एक जोखिम है।

माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म कू ने थोड़े ही समय में काफी सफलता हासिल की है और इसने अपनी स्थापना के कुछ ही समय में 40 लाख यूजर्स की संख्या को पार कर लिया है।

कू के सह-संस्थापक मयंक बिदावत ने पिछले महीने आईएएनएस को बताया था कि उनका लक्ष्य इस वर्ष के अंत तक 10 करोड़ यूजर्स को जोड़ना है।

कू ने अपनी सीरीज ए फंडिंग के हिस्से के रूप में 41 लाख डॉलर जुटाए हैं।

बिदावत ने कहा, हम चाहते हैं कि कू विश्व स्तरीय एप बने और भारत के माइक्रो ब्लॉग के रूप में जाना जाए।

व्हाट्सएप की भारत में यूजर्स के साथ डेटा साझा करने या फिर 15 मई के बाद उनके अकाउंट्स बंद करने की योजना की खासी आलोचना हुई है। इसी कारण अब यह भारत में गहन जांच का सामना कर रहा है।

इस बीच, केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया बिचौलियों के लिए नए नियमों को भी अधिसूचित किया है, जिसमें कहा गया है कि सरकारी निर्देश या कानूनी आदेश के बाद प्लेटफार्मों को 36 घंटे के भीतर अपमानजनक सामग्री को हटाना होगा।

कैथार्ट ने हालांकि यह भी कहा कि लोगों को वैश्विक रूप से अधिक विकल्प होने से लाभ होता है।

Disclaimer: This story is auto-generated from IANS service.