मध्य प्रदेश में फिर हलचल: BSP विधायक का आरोप, भाजपा पैसों के साथ मंत्री पद का ऑफर दे रही है

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लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर खतरा मंडरा रहा है। जहां कांग्रेस का कहना है कि उसके विधायकों की खरीद फरोख्त की कोशिशें की जा रही है। वहीं कांग्रेस सरकार को समर्थन देने वाली बसपा विधायक ने भी बीजेपी पर आरोप लगाया है। बसपा विधायक कहना है कि उसे पैसों के साथ मंत्री पद का भी ऑफर दिया गया है।

बसपा विधायक रमाबाई ने कहा है कि बीजेपी हर किसी विधायक को ऑफर दे रही है। केवल मुर्ख ही उनके झांसे में आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुझे एक फोन कॉल आया था और मंत्री पद के साथ पैसों का भी ऑफर दिया गया था लेकिन मैंने उन्हें इनकार कर दिया है। उन्होंने बताया कि विधायकों को 50 से 60 करोड़ रुपये का ऑफर मिल रहा है।

वहीं मध्यप्रदेश में सत्तारूढ़ दल कांग्रेस की मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद उभरीं परिस्थितियों के बीच आज कहा कि राज्य की कमलनाथ सरकार अपना पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करेगी और कांग्रेस समेत सरकार को समर्थन देने वाले सभी विधायक हमारे साथ हैं।

ओझा ने कहा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ की उपस्थिति में कल यहां कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुयी, जिसमें सभी विधायकों ने मुख्यमंत्री के प्रति विश्वास जताया। इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के दो, समाजवादी पार्टी का एक और चारों निर्दलीय विधायकों ने भी कांग्रेस सरकार को अपना समर्थन जारी रखने की बात दोहरायी है।

उन्होंने दोहराया कि कांग्रेस की मौजूदा सरकार को पूर्ण बहुमत हासिल है और सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्षी दल भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें सफल नहीं होने दिया जाएगा। इस बारे में सभी विधायकों को भी अवगत करा दिया गया है। राज्य की मौजूदा सरकार को लगभग पांच माह ही हुआ है। इसमें से भी 1० मार्च को लोकसभा चुनाव के कारण आदर्श आचार संहिता लग गयी थी, जो एक दो दिन पहले ही हटी है।

ओझा ने कहा कि अल्प समय में ही कमलनाथ सरकार ने अपने काफी वचन पूरे किए हैं। अब सभी वचनों को पूरा करने के लिए सरकार और तेजी से जुट गयी है। राज्य सरकार की प्राथमिकता किसानों से जुड़े मुद्दों पर कार्य करने के साथ ही रोजगार, युवाओं और गरीबों से संबंधित विषयों पर कार्य करने की है। कानून व्यवस्था को भी और चुस्त दुरुस्त किया जाएगा। इस संबंध में मुख्यमंत्री ने राज्य के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और अन्य सभी अधिकारियों को अवगत करा दिया है।

एक अन्य सवाल के जवाब में ओझा ने कहा कि लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद कमलनाथ के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद से त्यागपत्र की पेशकश संबंधी जो खबरें आयीं, उनमें भी कोई दम नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री बनने पर कमलनाथ ने प्रदेश अध्यक्ष पद से त्यागपत्र की पेशकश केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष की थी, लेकिन उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया था।

ओझा ने कहा कि कमलनाथ कांग्रेस के वचनपत्र के अनुरूप अपनी सरकार की प्राथमिकता तय करते हुए अब और तेजी से कार्य करने में जुट गए हैं। राज्य मंत्रिमंडल के विस्तार के संबंध में चल रही खबरों को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है और इस बारे में उचित समय पर वे स्वयं बताएंगे।

दिसंबर 2018 में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के बाद कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी और उसने पंद्रह वषोर्ं से सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पाटीर् को सत्ता से बेदखल कर दिया। दो सौ 30 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस को 114 सीटें हासिल हुई हैं, जबकि भाजपा के 109 विधायक हैं। इसके अलावा बसपा के दो, सपा का एक और चार निर्दलीय विधायक हैं। कांग्रेस को इन सातों विधायकों ने समर्थन दिया है।