मप्र में कांग्रेस का जमीनी तैयारी पर जोर

   

भोपाल, 10 दिसंबर । मध्य प्रदेश में सत्ता से बाहर होने और उपचुनाव में हार के बाद कांग्रेस ने जमीनी तैयारी तेज करने की रणनीति पर अमल शुरू कर दिया है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव मुकुल वासनिक ने चार राष्टीय सचिव और सह प्रभारी को 55-55 से अधिक विधानसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारी सौंपी है।

राज्य में कांग्रेस लगभग 15 माह सत्ता में रही और 25 विधायकों के दल-बदल करने के कारण सत्ता से हाथ धोना पड़ा। उसके बाद 28 विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव में कांग्रेस सिर्फ नौ स्थानों पर ही जीत दर्ज कर सकी। आगामी समय में नगरीय निकाय चुनाव होने वाले हैं और इसे ध्यान में रखते हुए और वर्ष 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव की कार्ययोजना पर भी पार्टी ने अमल शुरू कर दिया है।

एआईसीसी के महासचिव और मध्य प्रदेश प्रभारी मुकुल वासनिक ने राज्य के सभी विधानसभा क्षेत्रों को चार जोन में बांटा है। सबसे महत्वपूर्ण इलाका कांग्रेस के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया और शिवराज सिंह चौहान के प्रभाव का है। इस क्षेत्र का प्रभारी सुधांशु त्रिपाठी को बनाया गया है और उनके पास 59 विधानसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जेान एक के प्रभारी त्रिपाठी 12 दिसंबर से 16 दिसंबर तक भोपाल और उसके आसपास विदिशा, रायसेन, सीहोर आदि क्षेत्रों का दौरा भी करने वाले हैं। जहां वे कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के साथ बैठक करेंगे और आगामी नगरी निकाय चुनाव की रणनीति पर विचार विमर्श करेंगे।

मुकुल वासनिक ने जोन क्रम जोन दो का प्रभारी संजय कपूर को बनाया है और उनके पास 57 विधानसभाओं की जिम्मेदारी है। वहीं जोन तीन के प्रभारी सी.पी. मित्तल बनाए गए हैं और वे 56 विधानसभा क्षेत्रों के प्रभारी होंगे। इसी तरह कुलदीप इंदौरा को जोन चार का प्रभारी बनाया गया है और वह 58 विधानसभा क्षेत्रों में दौरा करेंगे।

पार्टी सूत्रों की मानें तो आगामी समय में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव पर यह सह प्रभारी खास नजर रखेंगे, साथ ही वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों में भी जुटे रहेंगे। यह सह प्रभारी जमीनी कार्यकर्ता के मनस्थिति टटोलने के साथ आगामी नगरीय चुनाव और विधानसभा चुनाव के लिए किस तरह की मुहिम चलाई जाए, इस पर अपनी रिपोर्ट पार्टी हाईकमान को देंगे।

भाजपा लगातार यह कहती रही है कि पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ अब राज्य में न रहकर दिल्ली में रहेंगे, जबकि कमल नाथ अपने इरादे साफ कर चुके हैं और उनका कहना है कि वे राज्य में ही रहेंगे। कुल मिलाकर आने वाले दिनों में राज्य में सियासी घमासान तेज होने के आसार हैं। नगरीय निकाय के चुनाव में यह नजर भी आएगा।

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