मप्र में नगरीय निकाय चुनाव में बसपा बढ़ा सकती है कांग्रेस की मुश्किलें

   

भोपाल, 29 नवंबर । मध्यप्रदेश में भले ही अभी नगरीय निकायों के चुनावों की तारीखों का ऐलान न हुआ हो मगर राजनीतिक दलों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) भी नगरीय निकाय का चुनाव लड़ने वाली है और अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

राज्य में विधानसभा के उपचुनाव हो चुके हैं और आगामी समय में नगरीय निकाय व पंचायतों के चुनाव प्रस्तावित हैं। संभावना इस बात की है कि पहले नगरीय निकाय चुनाव होंगे। यह चुनाव सत्ताधारी भाजपा और विपक्षी दल कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण है, दोनों ही दल तैयारियों में जुटे हैं, तो वहीं बसपा ने भी चुनाव लड़ने का मन बनाया है।

बहुजन समाज पार्टी के विधायक संजीव कुशवाहा का कहना है कि आगामी समय में होने वाले नगरीय निकाय के चुनाव बसपा पूरी ताकत से लड़ेगी। विधानसभा का उपचुनाव भी बसपा ने पूरी ताकत से लड़ा था और नतीजे भी बेहतर रहे हैं। नगरीय निकाय के चुनाव में भी बसपा दोनों प्रमुख दल कांग्रेस और भाजपा के लिए मुसीबत बनेगी।

बसपा के नगरीय निकाय के चुनाव लड़ने के फैसले से कई स्थानों पर मुकाबले के त्रिकोणीय होने के आसार बनेंगे। साथ ही कांग्रेस के वोट बैंक पर भी सेंधमारी होगी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बसपा को राज्य में विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में पांच से सात प्रतिशत तक वोट मिलते हैं और यही मत प्रतिशत कांग्रेस की हार का बड़ा कारण बनता है। नगरीय निकाय चुनाव में भी बसपा के चुनाव लड़ने से कांग्रेस को ही नुकसान होने के आसार हैं।

कांग्रेस प्रवक्ता अजय यादव बसपा को वोट कटुवा पार्टी से ज्यादा कुछ नहीं मानते। उनका कहना है कि राज्य में बसपा का जनाधार कुछ क्षेत्रों के ग्रामीण इलाकों में है, उसका नगरीय क्षेत्र में असर नहीं है। हां वह चुनाव में असंतुष्टों और बागियों के लिए एक सहारा बन सकती है, तो इसका असर दोनों ही दलों पर पड़ेगा। पिछले विधानसभा के उप-चुनाव में यह बात साबित हो चुकी है कि बसपा नतीजे प्रभावित नहीं कर सकती, कुछ वोट जरुर काट सकती है। बसपा के मैदान में आने से सिर्फ कांग्रेस को नुकसान नहीं होगा, भाजपा को भी नुकसान हेागा।

राज्य का ग्वालियर-चंबल, बुंदेलखंड और विंध्य का वह इलाका है जहां बसपा का प्रभाव है। पिछले कई चुनावों में इस इलाके में कांग्रेस की हार का बड़ा कारण बसपा ही बनी है। इसलिए इस बात की संभावना ज्यादा है कि अगर बसपा पूरी ताकत से चुनाव लड़ी तो भाजपा की राह आसान होगी।

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