ममता बनर्जी की दो टूक, मोदी सरकार को वापस लेना ही होगा नागरिकता विधेयक

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नागरिकता (संशोधन) विधेयक पर एक ओर जहां ममता बनर्जी से समर्थन की अपील करते आए हैं, वहीं ममता ने साफ कर दिया है कि वह इसका बिल्कुल भी समर्थन नहीं करेंगी। ममता ने कहा है कि केंद्र को हर हाल में यह बिल वापस लेना ही पड़ेगा।
ममता ने शनिवार को कहा, ‘केंद्र हमसे चाहता है कि हम नागरिकता विधेयक को पास करें। वे बंगालियों को यहां से निकालना चाहते हैं। नेपालियों और बिहारियों को भी बाहर कर दिया जाएगा। करीब 22 लाख बंगालियों का नाम एनआरसी लिस्ट में है। हम उन्हें दंगा करने की इजाजत नहीं देंगे। हम पूर्वोत्तर को जलने नहीं देंगे। उन्हें यह बिल वापस लेना ही पड़ेगा।’

प्रधानमंत्री ने शनिवार को दुर्गापुर की रैली में कहा कि तृणमूल कांग्रेस घोटालों की सीबीआई जांच से डरी हुई है। उन्होंने कहा, ‘दीदी, जब आपने कुछ गलत नहीं किया है तो आप डरी हुई क्यों हैं? मैं जब गुजरात सीएम था, तो सीबीआई ने मुझसे घंटों पूछताछ की थी। यूपीए सरकार ने सीबीआई को खुली छूट दी थी, लेकिन मैंने कभी सीबीआई को राज्य से बाहर रखने पर विचार नहीं किया।’

ममता ने पीएम मोदी के इस हमले का तीखा जवाब दिया। उन्होंने कहा, ‘उनका राजनीतिक जीवन ही गोधरा दंगों के बाद शुरू हुआ था। हरेन पांड्या के साथ क्या हुआ था? 2002 दंगों के पीड़ितों को आज भी इंसाफ नहीं मिला।’ उन्होंने कहा, ‘उनसे पूछताछ इसलिए हुई क्योंकि दंगों में उनकी भूमिका जगजाहिर थी। अगर सीबीआई ने उनसे पूछताछ की तो यह जरूरी तो है नहीं कि सबसे करे।’

क्या है नागरिकता (संशोधन) विधेयक?
नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 को लोकसभा में ‘नागरिकता अधिनियम’ 1955 में बदलाव के लिए लाया गया है। केंद्र सरकार ने इस विधेयक के जरिए अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैन, पारसियों और ईसाइयों को बिना वैध दस्तावेज के भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव रखा है। इसके लिए उनके निवास काल को 11 वर्ष से घटाकर छह वर्ष कर दिया गया है। यानी अब ये शरणार्थी 6 साल बाद ही भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस बिल के तहत सरकार अवैध प्रवासियों की परिभाषा बदलने के प्रयास में है।