मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित पर चीन ने फिर लगाया अड़ंगा!

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जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र की तरफ से प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव पर चीन ने फिर वीटो कर दिया। मसूद पर पाबंदी का यह प्रस्ताव दस साल में चौथी बार खारिज हो गया। चीन का यह रवैया एशिया प्रशांत क्षेत्र में हो रहे कूटनीतिक और रणनीतिक बदलावों पर भी गहरा असर डालेगा।

इसकी वजह यह है कि अब यह मामला सिर्फ भारत और पाकिस्तान के बीच नहीं रह गया है बल्कि आतंकवाद से त्रस्त अमेरिका समेत दूसरे देश भी मसूद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाने को लेकर कड़े तेवर अपनाए हुए थे। अमेरिका ने बुधवार को चीन की तरफ इशारा करते हुए यहां तक कहा कि मसूद पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश कामयाब नहीं हुई तो इससे क्षेत्रीय स्थिरता को नुकसान पहुंचेगा।

मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र की तरफ से प्रतिबंध लगाने संबंधी प्रस्ताव पर बुधवार देर रात संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में विचार हुआ। इसमें चीन ने प्रस्ताव पर एतराज करते हुए वीटो कर दिया। मसूद पर पाबंदी के लिए इस बार अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन ने संयुक्त राष्ट्र की 1267 समिति के तहत प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव किया था। यह प्रतिबंध तभी लागू हो पाता जब पांचों स्थायी सदस्य और दस अस्थायी सदस्य समर्थन करते।

 फिर चीनी अड़ंगा
इससे पहले चार बार चीन की तरफ से इस तरह के प्रस्ताव के खिलाफ वोटिंग कर चुका था। इस बार भी चीन के तेवर शुरू से ही कुछ ऐसे ही दिख रहे थे। चर्चा के दौरान चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि इस मामले का समाधान इस तरह निकलना चाहिए जिससे सभी पक्षों को संतुष्टि हो। वैसे चीन ने यह भी कहा है कि वह इस बारे में जिम्मेदारी से फैसला करेगा, लेकिन यह शर्त भी लगा दी है कि 1267 समिति के सभी नियमों का पालन किया जाना चाहिए। इस तरह चीन ने इस बार भी अपने मित्र देश पाकिस्तान की मदद करने के लिए प्रस्ताव का विरोध करके मौलाना मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से बचा लिया।

अमेरिका ने किए भरपूर प्रयास
चीनी विदेश मंत्रालय का रख सामने आने के कुछ ही घंटों बाद अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि जैश-ए-मोहम्मद और मौलाना मसूद अजहर को लेकर हमारे विचार सभी को पता हैं। जैश-ए-मोहम्मद संयुक्त राष्ट्र की तरफ से प्रतिबंधित आतंकी संगठन है और मसूद अजहर पर भी संयुक्त राष्ट्र का प्रतिबंध लागू होना चाहिए। जैश कई आतंकी वारदातों के लिए जिम्मेदार है और यह क्षेत्रीय शांति के लिए भी खतरा है। जहां तक चीन का सवाल है तो अमेरिका उसके साथ स्थायित्व और शांति के सामूहिक उद्देश्य के लिए साथ मिलकर काम कर रहा है। मसूद अजहर पर इस तरह का प्रतिबंध नहीं लगता है तो यह हमारे सामूहिक उद्देश्यों के खिलाफ होगा।