मानवाधिकार के मामले में सऊदी अरब पर उठे सवाल!

   

ह्यूमन राइट्स वॉच ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में सऊदी अरब, बहरैन और संयुक्त अरब इमारात में मानवाधिकार की स्थिति को विषम बताया है। सऊदी अरब, बहरैन, संयुक्त अरब इमारात, कुवैत, जार्डन और कतर फार्स खाडी की सहकारिता परिषद के सदस्य हैं।

रोचक बात यह है कि क़तर, कुवैत और जार्डन मध्य पूर्व में शांति व सुरक्षा और सहकारिता को मज़बूत करने की मांग कर रहे हैं जबकि सऊदी अरब, बहरैन और संयुक्त अरब इमारात अपनी नीतियों से क्षेत्र में अशांति को हवा दे रहे हैं।

लगभग चार वर्षों से सऊदी अरब ने यमन पर युद्ध थोप रखा है और वहां हालिया दशक की सबसे बड़ी मानव त्रासदी घटी है और सऊदी अरब के पाश्विक हमलों में 14 हज़ार से अधिक यमनी मारे जा चुके हैं।

मारे जाने वालों में ध्यान योग्य संख्या बच्चों और महिलाओं की है। यही नहीं, सऊदी अरब ने यमन का कड़ा हवाई, जमीनी और समुद्री परिवेष्टन भी कर रखा है जिससे यमनी लोगों को खाद्य पदार्थों, दवाओं और ज़रूरत की दूसरी चीज़ों की भारी कमी का सामना है।

सऊदी अरब, बहरैन और संयुक्त अरब इमारात न केवल दूसरे देशों विशेषकर सीरिया और यमन में मानवाधिकारों का घोर हनन कर रहे हैं और विभिन्न प्रकार के अपराध अंजाम दे रहे हैं बल्कि वे स्वयं अपने देशों के अंदर भी खुल्लम- खुल्ला मानवाधिकारों का हनन कर रहे हैं।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, विरोधियों व आपत्ति जताने वालों के खिलाफ हिंसा,राजनीतिक पार्टियों को भंग कर देना, राजनीतिक और धार्मिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करना, आलोचना करने वालों के विरुद्ध अन्यायपूर्ण आदेश और उन्हें सज़ायें देना और उनकी नागरिकता को खत्म कर देना वे चीज़ें हैं जो सऊदी अरब, बहरैन और संयुक्त अरब इमारात में सामान्य बात हैं।

इसी तरह बहरैन में वर्ष 2011 से अब तक तानाशाही सरकार के खिलाफ होने वाले प्रदर्शनों में लगभग 170 नागरिक या तो मारे जा चुके हैं या फिर उन्हें गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया है। इसी प्रकार इस देश की जेलों में दूसरे पांच हज़ार से अधिक राजनीतिक बंदी हैं और किसी प्रकार का मुकाद्दमा चलाये बिना वे महीनों या वर्षों से जेल काट रहे हैं।

संयुक्त अरब इमारात में भी खुल्लम- खुल्ला मानवाधिकारों का हनन हो रहा है। वहां भी जो लोग आले सऊद, आले नहियान और आले खलीफा की आलोचना करते हैं उन्हें या तो अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है या उनकी नागरिकता समाप्त कर दी जाती है।

साभार- ‘parstoday.com’