मुद्दसर के बेटे और अंकित की मां की नम आंखें सोने नहीं देतीं- ओवैसी

   

नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में हुए दंगों को लेकर AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है. ओवैसी ने मोदी की चुप्पी पर निशाना साधते हुए पूछा कि क्या उन्हें इस दंगे के बारे में जानकारी भी है या नहीं. आगे ओवैसी ने आईबी अफसर अंकित शर्मा की मौत का जिक्र किया. साथ में जान गंवाने वाले अन्य लोगों के नाम लेकर भी मोदी सरकार पर सवाल उठाए.

ओवैसी ने आईबी कर्मी अंकित शर्मा की मौत का जिक्र किया. उन्होंने आईबी कर्मी अंकित शर्मा की मौत का जिक्र किया. वह बोले, ‘आईबी अफसर अंकित शर्मा को मार दिया गया. उसपर बेदर्दी से चाकुओं से वार किए गए और नाले में फेंका गया. इसके आगे ओवैसी ने कहा कि पीएम क्या आप जानते हैं कि 80 से ज्यादा लोगों को गोली लगी है. 40 से ज्यादा लोग मारे गए हैं. चार मस्जिदों को जला दिया गया. करोड़ों रुपये की जायदाद खत्म हो गई.

मुद्दसर के बेटे और अंकित की मां की नम आंखें सोने नहीं देतीं

इसके आगे ओवैसी ने 85 साल की महिला अकबरी बेगम का जिक्र किया. दावा किया कि दंगे में वह घर में ही जिंदा जल गईं. ओवैसी ने पूछा कि आपने (मोदी) तो मुस्लिम महिलाओं से वादा किया था कि आप उनके भाई हैं. ओवैसी ने कहा कि मुद्दसर खान की लाश के बगल में बैठे उनके बेटे की रोती तस्वीर और अंकित शर्मा की मां का इंटरव्यू उन्हें सोने नहीं देता.

 

ओवैसी ने कहा कि अगर किसी को उनकी यह बात हेट स्पीच लगती है तो भाड़ में जाए. वह बोले कि उन्हें पीएम से सवाल पूछने का पूरा हक है. वह बोले कि जब तक जिंदा रहूंगा हक को बयान करूंगा. ओवैसी आगे बोले, ‘मोदी आपने 2002 से कोई सबक नहीं लिया. 2020 में फिर दंगे हुए.

कौन थे अंकित शर्मा?

अंकित शर्मा इंटेलीजेंस ब्यूरो में सुरक्षा सहायक थे, जिनका शव दिल्ली हिंसा के दौरान बुधवार को हिंसाग्रस्त क्षेत्र चांदबाग से बरामद हुआ था. खजूरी खास निवासी अंकित की अटॉप्सी रिपोर्ट के मुताबिक उनके शरीर पर 450 से ज्यादा बार चाकू से हमला किया गया था.

पुलिस FIR के मुताबिक अंकित की हत्या का आरोप आम आदमी पार्टी की ओर से पार्षद ताहिर हुसैन पर लगा है. बतौर FIR अंकित की बेरहमी से हत्या के बाद उसके शव को नाले में फेंक दिया गया था.

 

कौन थे मुद्दसर खान?

मुद्दसर खान प्लास्टिक मैन्युफैक्चरिंग का काम करते थे. उनके भाई के मुताबिक सोमवार को वह किसी काम से कर्दमपुरी गए थे और हिंसा भड़कने के बाद वहीं फंस गए. अगले दिन मंगलवार को उन्होंने फोन कर अपने भाई को उन्हें वहां से निकालने के लिए कहा. जब वह मुद्दसर को लेने पहुंचे तो वो कहीं भी नहीं मिले. मुद्दसर अपने भाई का फोन भी नहीं उठा रहे थे. लगातार फोन करते रहने के बाद किसी अजनबी ने मुदस्सर का फोन उठाया और उन्हें बताया कि उनके भाई की मौत हो गई है और शव सड़क पर पड़ा है.

किसी ने शव को जीटीबी अस्पताल पहुंचा दिया था. जहां से गुरुवार को परिजनों को उनका शव प्राप्त हुआ. मुद्दसर की खबर तब सुर्खियों में आई जब सोशल मीडिया पर उनके शव के पास बैठे उनके बेटे की नम आंखों वाली तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई.