मुस्लिम देशों को मजबूत होता देख इजरायल अब रुस को मनाने की कोशिश में है!

   

अगर अपने क़रीबी घटक अर्थात अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प की राह पर चलते हुए इस्राईली प्रधानमंत्री नेतनयाहू ट्वीट करके आगामी 21 फ़रवरी को अपनी मास्को यात्रा का एलान कर रहे हैं और यह एलान वह तीन भाषाओं हेब्रू, अंग्रेज़ी और फ़ारसी में कर रहे हैं तो इसका मतलब साफ़ है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादमीर पुतीन से मुलाक़ात के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगा लेने के बाद आख़िरकार नेतनयाहू को मास्को जाने की अनुमति मिल गई और किसी बेहद गंभीर मामले में वह मास्को की यात्रा करना चाहते हैं।

पार्स टुडे डॉट कॉम के अनुसार अगर नेतनयाहू की मास्को यात्रा के उद्देश्यों को समझना है तो चार महत्वपूर्ण घटनाओं पर ध्यान केन्द्रित करना होगा। नेतनयाहू रूसी राष्ट्रपति से मुलाक़ात के लिए कई महीने से सिर पटक रहे हैं इसके बावजूद उन्हें इसकी अनुमति नहीं मिल रही थी।

पहली महत्वपूर्ण घटना वह है जिसकी ख़बर इस्राईली अख़बार यदीऊत अहारोनोत ने छापी। अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार सीरिया ने रूस से मिलने वाले एस-300 मिसाइल डिफ़ेन्स सिस्टम के तीन सेट स्थापित कर दिए हैं और चौथे की स्थापना की तैयारी जारी है। इसकी तसवीरें अख़बार ने छापीं।

दूसरी बात यह हुई कि हिज़्बुल्लाह के प्रमुख सैयद हसन नसरुल्लाह ने अलमयादीन टीवी चैनल को दिए गए अपने इंटरव्यू में बताया कि सीरिया तथा इस्लामी प्रतिरोधक मोर्चे की ओर से किसी भी क्षम यह फ़ैसला किया जा सकता है कि सीरिया पर इस्राईली हमलों का अलग अंदाज़ से जवाब देना है।

तीसरी घटना यह हुई कि ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव अली शमख़ानी ने सीरियाई अधिकारियों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाक़ात में कहा कि यदि सीरिया में इस्राईल के हमले जारी रहे तो ईरान इस्राईल को बहुत कठोर जवाब देगा।

चौथी महत्वपूर्ण बात यह हुई कि सीरिया के विदेश मंत्री वलीद अलमुअल्लिम ने जो देश के महत्वपूर्ण मामलों के प्रभारी हैं मास्को का दौरा किया और अपने साथ सीरियाई राष्ट्रपति का महत्वपूर्ण संदेश लेकर गए।

नेतनयाहू की अगर बात करें तो वह झूठ बोलने के लिए बदनाम हैं, इस्राईल में रहने वाले लोग भी उन पर विश्वास नहीं करते बल्कि जानते हैं कि वह अपने हितों के लिए कोई भी झूठ बोल सकते हैं। इस्राईल में किए जाने वाले सर्वे में यह बात सामने आ चुकी है कि 80 प्रतिशत इस्राईलियों को सैयद हसन नसरुल्लाह की बातों पर पूरा विश्वास है।

यही वजह है कि नेतनयाहू ने जब अपने ट्वीट में यह बताया कि वह मास्को इसलिए जा रहे हैं कि सीरिया में ईरान की उपस्थिति के बारे में बात करें और ईरान को गोलान हाइट्स के इलाक़े में इस्राईल के ख़िलाफ़ नया मोर्चा खोलने से रोकें। इस्राईल में लोगों का आम विचार यही है कि नेतनयाहू की इस बात में भी झूठ ज़रूर है।

नेतनयाहू की मास्को यात्रा की असली वजह अधिकतर टीकाकारों की नज़र में सीरिया में एस-300 मिसाइल डिफ़ेन्स सिस्टम का स्थापित हो जाना है। क्योंकि इसका साफ़ साफ़ मतलब यह है कि अब इस्राईली युद्धक विमान या मिसाइल सीरिया के भीतर कोई भी हमला नहीं कर पाएंगे और अगर इस्राईल ने हमला किया तो ईरान और सीरिया की ओर से कड़ी जवाबी कार्यवाही हो सकती है।

रूसी मीडिया में वरिष्ठ सैन्य सूत्रों के हवाले से यह जानकारी लीक हुई कि सीरियाई विशेषज्ञों को एस-300 मिसाइल डिफ़ेन्स सिस्टम चलाना सिखाने की प्रक्रिया में में पूरी हो जाएगी।

इस बात से नेतनयाहू बुरी तरह भयभीत हैं। विशेषकर इसलिए भी कि इस्राईल में संसद के चुनावों से ठीक एक महीना पहले यह बदलाव हो रहा है। रूसी मीडिया में यह ख़बर अचानक लीक नहीं हुई बल्कि एसा लगता है कि जान बूझकर लीक करवाई गई है और इसका लक्ष्य इस्राईल को कड़ा संदेश देना था।

एसा लगता है कि इस्राईल की ओर से की जाने वाली मनमानी हरकतों से रूसी अधिकारी तंग आ चुके हैं और उन्होंने इस्राईल पर अंकुश लगाने का फ़ैसला कर लिया है।

एस-300 मिसाइल डिफ़ेन्स सिस्टम के प्रयोग का अर्थ यह है कि सीरिया के पास यह ताक़त होगी कि इस्राईली विमानों को उड़ान भरते ही मार गिराए।

जब हिज़्बुल्लाह के प्रमुख सैयद हसन नसरुल्लाह ने कह दिया कि सीरिया तथा इस्लामी प्रतिरोध मोर्चे की ओर से किसी भी क्षण यह निर्णय किया जा सकता है कि सीरिया पर इस्राईली हमलों का कठोर जवाब दे। उन्होंने यह भी बता दिया कि हिज़्बुल्लाह के पास सटीक निशाना लगाने वाले मिसाइल पर्याप्त मात्रा में मौजूद हैं।

इसके चार दिन बाद जनरल शमख़ानी ने कहा कि इस्राईल के हमलों का ईरान कठोर जवाब देगा तो इसका मतलब साफ़ है कि जवाबी कार्यवाही का फ़ैसला किया जा चुका है। यही कारण है कि नेतनयाहू डरकर मास्को भागे हैं।